हल्की सी एक रोशनी
नया एंटी रेप एक्ट पर राष्ट्रपति की मंजूरी की मोहर लगते ही महिलाओं के साथ होने वाले हर तरह के अपराधों के लिए कड़ी सजाएँ तय हो गई हैं। सुधार के बाद इस विधेयक को पारित किया गया है ।एंटी रेप कानून ने आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम 2013 के रूप में अपनी जगह बना ली है । हालांकि यह एक्ट आम महिलाओं के लिए नई उम्मीद की रोशनी बनकर आई है , पर इसमें कुछ खास नया नहीं है । मेरा मानना है कि औरतों को याद दिलाने के लिए जो पुराने कानून थे, उसको बस एक विधेयक में समेट दिया गया है । एक अच्छी बात यह हुई कि ईव टीजिंग कानून में जिस छेड़छाड़ को गंभीरता से नहीं लिया जाता था,अब आईपीसी की धारा 376 के तहत रेप के बराबर अपराध माना गया है । पहले जो पुरुष लड़की को घूरने, उसका पीछा करने, एमएमएस बनाने, फब्तियाँ कसने के बावजूद बच निकलते थे, अब सजा पाए बिना नहीं रहेंगे। लेकिन यह कानून तभी कारगर रहेंगे । जब इनको पूरे ध्यान और सच्ची भावना के साथ लागू किया जाएगा, पर ऐसा हो नहीं रहा है।
* जब महिलाएँ रेप का मामला दर्ज कराने जाती हैं, तो उनके साथ पुलिस का रवैया बहुत बुरा होता है और वे रिपोर्ट दर्ज कराने से मना कर देती हैं । अब जो पुलिस अधिकारी ऐसी शिकायतें दर्ज करने से मना करेंगे , उनको दंडित किया जाएगा ।
* ऐसी पुलिस अधिकारी जिन्होंने ऐसी महिला जिस पर तेजाब से हमला हुआ हो , उत्पीड़न हुआ हो उसे निर्वस्त्र किया गया हो या रेप हुआ हो , मामला दर्ज नहीं किया, उनको कम से कम 6 महीने से 2 साल की कैद हो सकती है ।
*लड़की पर तेजाब फेंकने वाले को 10 साल की कैद उम्र कैद और जुर्माना से दंडित किया जाएगा जिसकी तेजाब फेंका गया है उस महिला के पुनर्वास का ख्याल रखा जाएगा और जुर्माने की राशि मुआवजे के तौर पर दी जाएगी । आईपीसी में तेजाबी हमले की पहली बार अपराध के तौर पर व्याख्या की गयी है ।
*अश्लील फब्तियाँ कसने को सेक्सुअल हैरासमेंट के तहत रखा गया है । इस अपराध को अंजाम देने वाले को एक साल का कारावास दिया जाएगा । यदि कोई महिला की नहाते हुए, टॉयलेट इस्तेमाल करते हुई या सेक्स के समय का फोटो खींचता है या एमएमएस बनाता है, तो उसे भी 3 से 7 साल की सजा होगी । इससे पहले ऐसे अपराधों पर अलग से कोई कानून नहीं था ।
* इस विधेयक में सबसे ज्यादा चर्चा किसी लड़की का पीछा करने , उसे फोन कॉल करके परेशान करने , उसके किसी किस्म का प्रस्ताव रखने जैसी हरकतों को अंजाम देने वाले को उत्पीड़क माना जाएगा । अब ई-मेल करके परेशान करने वाले, उनकी गतिविधियों पर नजर रखने वाले, सीधे जेल में नजर आएँगे । इस तरह पीछा करने वाले आदमी को पहली बार पकड़े जाने पर 3 साल की कैद होगी और यदि वह दोबारा ऐसा अपराध में लिप्त पाया गया तो उसे 5 साल की कैद होगी। यह गैर जमानती अपराध है ।
*इस एक्ट के दौरान इंटर कोर्स के अलावा अगर लड़की के किसी भी अंग वेजाइना,यूरेथ्रा या एनस में कोई वस्तु डाली जाती है, ओरल सेक्स होता है , तो यह सब रेप ही है । ऐसे अपराधी को 7 साल के कारावास से लेकर उम्र कैद हो सकती है। हालांकि कुछ मामलों में यदि अदालतों को लगता है कि सजा घटाई जानी चाहिए, उसके तर्क और कारण है तो वे सजा 7 साल से कम कर सकती है।
* इससे सबसे कठोर फैसला सरकारी कर्मचारियों के रेप में शामिल होने पर दिया जाएगा। इस कानून के तहत यदि कोई लोकसेवक पुलिस अधिकारी या जेल का स्टाफ इसके तहत अपराधी पाया गया , तो उसे 10 साल का कारावास भुगतना होगा । इसके अलावा कोई भी महिला आर्मी स्टाफ के खिलाफ भी इस एक्ट के तहत रेप का मामला दर्ज करा सकती है ।
*यदि किसी स्त्री की रेप के बाद मौत हो जाती है या वह कोमा में चली जाती है, तो ऐसे अपराधी को 20 साल की कैद या आजीवन कारावास का दंड भुगतना होगा । ऐसे मामलों में फांसी तक हो सकती है । रेप ऐक्ट मे यह सबसे बड़ा सुधार है । इस विधेयक में आजीवन कारावास का मतलब स्वाभाविक मृत्यु तक कैद है ।
*एक्ट में गैंगरेप शामिल लोगों को 20 साल की सजा का आजीवन कारावास की सजा होगी। रेप अपराध में दोबारा अपराधी पाए गए व्यक्ति को मौत की सजा भी सुनाई जा सकती है।
* सेक्सुअल हैरासमेंट की शिकार महिलाओं की एफआईआर महिला पुलिस अधिकारी लिखेंगी ।
*ऐसे मामलों की त्वरित सुनवाई होगी । जहां रेप या इससे संबंधित मामलों का निबटारा जल्दी से जल्दी होगा और पुलिस में रिपोर्ट दर्ज होने के कम से कम 2 महीने के अंदर अभियुक्त को सजा सुना दी जाएगी ।
* अस्पताल चाहे सरकारी हो या निजी , बलात्कार पीड़ित के इलाज से इनकार नहीं कर सकता । सभी अस्पताल बलात्कार या तेजाब हमला पीड़ितों को तुरंत प्राथमिक मदद या मुफ्त उपचार उपलब्ध कराएंगे , ऐसा ना करने पर एक साल का कारावास भुगतान होगा ।
*बलात्कार या तेजाब पीड़िता के मानसिक या शारीरिक रूप से अस्थायी या स्थायी रूप से अक्षम होने पर उसका बयान दुभाषिए और विशेष एजुकेटर की मदद से न्यायिक मैजिस्ट्रेट के सामने दर्ज कराने की अनुमति होगी। इस कार्यवाही की वीडियोग्राफी का प्रावधान है।
कंचन कुमारी मिश्रा
अधिवक्ता
जमशेदपुर सिविल कोर्ट