हम सब एक चमन के फूल
साक्षी है इतिहास हमारा गए नहीं हम भूल,
हम सब एक चमन के फूल
हम सब एक चमन के फूल।
हम हैं हिंदू,हम हैं मुस्लिम,हम हैं सिख ईसाई,
जाति धर्म के झूठे झगड़ों में हम पढ़े ना भाई,
गीता,ग्रंथ,कुरान,बाइबिल सबका एक ही मूल,
हम सब एक चमन के फूल
हम सब एक चमन के फूल।
तेरा , मेरा , उनका, सबका खून एक है लाल,
फूल भले ही अलग-अलग हो लेकिन एक है माल,
एक राह पर चलना सीखा बिछे भले हों शूल,
हम सब एक चमन के फूल
हम सब एक चमन के फूल।
ना पंजाबी ,ना मद्रासी, ना हम बंग निवासी,
ना कश्मीरी, ना गुजराती, हम हैं भारतवासी,
एक हमारा राष्ट्र-धर्म, ज्यों अक्षत-चंदन-फूल,
हम सब एक चमन के फूल
हम सब एक चमन के फूल।
दिनेश्वर प्रसाद सिंह ‘दिनेश’
वरिष्ठ साहित्यकार
जमशेदपुर, झारखंड