सरस्वती वंदना
अंधकार जब अम्बर पर छाये
नव पल्लव नव उपमा लेकर
….माँ !तू आये ….
निराशा के घोर भँवर में फंस जाये
नया उत्साह नई उमंग लेकर
….माँ!तू आये …..
कठिन डगर चलना मुश्किल हो जाये
नई शिक्षा का संचार लेकर
……माँ!तू आये…
सुख समृद्धि की प्रबल कामना पूर्ण न पाये
नई दिशा का संज्ञान लेकर
…..माँ!तू आये …..
जब भी तुझको याद करूँ तू कृपा बरसाये
नया अवतार नया वरदान लेकर
…….माँ!तू आये …….
दोहा..!!
मन की वीणा है बुझी, छेड़ो माँ शुभ तान।
झंकृत हृद का कोन हो, मधुर लगे हर गान।।
सदा सुदीप ज्ञान से , रही हमें निखारती।
सुलेखनी सुधार माँ, दिशा सभी सँवारती।
विराजती रहो सदा ,सुकाव्य में धार दो ।
नमामि मातु शारदे , अनंत ज्ञान सार दो ।।
अर्चना लाल
जमशेदपुर , झारखण्ड