यू आर माय वैलेंटाइन

यू आर माय वैलेंटाइन

लम्हा इक छोटा सा फिर उम्रे दराजाँ दे गया
दिल गया धड़कन गयी और जाने क्या-क्या ले गया

वो जो चिंगारी दबी थी प्यार के उन्माद की
होठ पर आई तो दिल पे कोई दस्तक दे गया

उम्र पहले प्यार की हर पल ही घटती जा रही
उसकी आँखों का ये आँसू जाने क्या कह के गया

प्यार बेमौसम का है बरसात बेमौसम की है
बात बरसों की पुरानी दिल पे ये लिख के गया

थी जो तड़पन उम्र भर की एक पल में मिट गयी
तेरी छुअनों का वो जादू दिल में घर करके गया

सूनापन रातों का,और वो कसक पुरानी देता है
टूटे सपने,बिखरे आँसू,कई निशानी देता है

दिल के पन्ने इक-इक करके खुद-ब-खुद खुल जाते हैं
हर पन्ने पर लिखकर फिर वो,नई कहानी देता है

उसके आने से ही दिल में,मौसम कई बदलते हैं
सूखे बंज़र गलियारों में,रंग वो धानी देता है

आँखों में ऐसे ये डोरे,सुर्ख उतर कर आते हैं
जैसे मदिरा पैमाने में,दोस्त पुरानी देता है

उसकी यादों का जब मेला,साथ हमारे चलता है
टूटे-फूटे रस्तों पर भी,एक रवानी देता है

पास वो आके कुछ ही पल में,जाने की जब बात करे
झील सी गहरी आँखों में वो,बहता पानी देता है

डॉ भावना कुअँर
साहित्यकार
सिडनी, आस्ट्रेलिया

 

रूठ कर बात यूँ न कर मुझसे
कट न पायेगा ये सफ़र मुझसे

मुड़ गया किस गली पता न चले
दूर है कितना मेरा घर मुझसे

इतना तन्हा रहा हूँ मैं कि अब
लगता तनहाईयों को डर मुझसे

क्या है मंज़िल कहाँ पे जाना है
अब ये पूछे है हर डगर मुझसे

जाने कितने सवाल करती है
उनकी मिलती है जब नज़र मुझसे

प्रगीत कुँअर
सिडनी, आस्ट्रेलिया

 

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