मेरी मां
मेरी मां ।
तुमसा कोई नहीं इस जग में ,
सब से अच्छी हो तुम मां ! !
बचपन में जब चल नहीं पाता,
गोदी में लेकर घुमाती थी तुम मां !!
बचपन में जब पांव डगमगाते थे ,
मेरी बाहों को थाम-
मेरा सहारा बन जाती थी तुम मां !!
पढ़ते पढ़ते गर थक जाऊं ,
मेरा सर सहलाती थी तुम मां !!
खेल खेल में गर चोट लगे तो –
मलहम भी लगाती थी तुम मां !!
गर नींद कभी ना आए तो –
लोरी भी सुनाती थी तुम मां !!
जीवन में मुश्किल कितनी भी आए –
हमें नहीं कभी बताती थी तुम मां!!
बच्चों की खुशियों के खातिर ,
रोज दुआ मांगती हो तुम मां !!
चलती हो लाठी के सहारे –
पर मेरा सहारा हो तुम मां !!
जीवन पथ पर बढ़ता जाऊं ,
हिम्मत जो दिलाती हो तुम मां !!
तेरा प्यार अनमोल जगत में ,
सबसे प्यारी हो तुम मां !!
तुमसा कोई नहीं है दूजा ,
सब से अच्छी हो तुम मां ! !
निशीथ सिन्हा