माँ की याद

माँ की याद
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तुम याद बहुत आती हो माँ।
खुद में तुमकों,
तुममें खुद को पाती हूँ, माँ
तुम याद बहुत आती हो माँ।

आती हैं याद बचपन की।
जब बच्चो को करती प्यार
डांट और फटकार लगाती,
तब तुझको खुद में पाती हूँ माँ।
तुम याद———-।

हम बच्चों के खातिर,
दिन भर करती मेहनत माँ।
मेरे भभिष्य के चिन्ता में ,
नींद गवाती रहती माँ।
मैं वही करती हूँ,
जो तुम करती थी माँ।
तुमको खुद में पाती हूँ माँ।
तुम याद——–।

आज आइना भ्रमित हो रहा,
तुम हो या तुम्हारी माँ।
रुप,रंग और कर्म में,
तुम मुझमें समाई माँ।
तुमकों खुद में पाती हूँ,माँ।
तुम याद बहुत आती हो माँ।
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छाया प्रसाद।

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