माँ

माँ

माँ तो केवल माँ होती है ,
हर सुख -दुख में ठंडी छाँव होती है ।
गरम थपेड़े सहकर भी बच्चों की रहनुमा होती है ।
सूरज की पहली किरण वह ,
चाँद की चमकती रोशनी वह,
नीले आसमान -सी विशाल वह ,
हवा का सुगंधित झोंका वह ,
ममता से भरी गागर वह ,
मोम से दिलवाली वह ,
चट्टान -सी सुदृढ़ वह ,
हर ग़म को हँसकर पी जानेवाली वह ,
संस्कार सिखाने वाली वह ,
घर की कर्ता -धरता वह ,
घर की लक्ष्मी -सरस्वती वह ,
रसोई की अन्नपूर्णा वह ,
मेरी दुनिया वह ,
नानाजी की प्यारी मुनिया वह ,
मैं खिल जाती जब मुस्कुराती वह ,
प्यार से सिर पर हाथ फेरती वह ,
दुलार से गोद में सुलाती वह ,
बिन बोले सब समझ जाती वह ,
दिल को टटोल लेती वह ,
मेरी प्यारी सखी वह ,
रिश्ते सभी निभाती वह ,
चेहरे पर शिकन न लाती वह ,
सलामती की दुआ माँगती वह ,
परिवार को एक सूत्र में बाँधती वह ,
बच्चों के लिये लड़ जाती वह ,
ज़माने के साथ क़दम मिलाकर चलती वह ,
घर -बाहर सँभालती वह ,
और भी ना जाने क्या -क्या करती वह ,
जीवन का आधार वह ,
जननी है धन्य वह ,
परिवार का आधार -स्तंभ वह ,
जीवन में ख़ुशियों के रंग भरती वह ,
शतायु हो , स्वस्थ रहो ,
हर जन्म में तुम्हीं हो मेरी माँ ,
ऐसी मेरी कामना ।
तुम्हारे रूप को जिया है मैनें ,
जब से अपने बच्चों को गोद में लिया है मैंने ,
माँ , तुम्हें शत -शत नमन ,
भर दिये तुमने मेरे जीवन में रंग ।

इंदु गांधी

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