बापू की ओर

 

बापू की ओर

मिथ्या से सत्य की ओर
घृणा से प्रेम और करुणा की ओर
सांप्रदायिकता से भाईचारे की ओर
हिंसा की बर्बरता से
अहिंसा की संवेदना की ओर
बर्बर भीडतंत्र से सत्याग्रह की ओर
विलासिता से सच्चरित्रता की ओर
उपभोक्तावाद से सादगी की ओर
अंध औद्योगीकरण से कुटीर उद्योग की ओर
पूंजी के आतंक से श्रम के सम्मान की ओर
गलाकाट प्रतिद्वंदिता से सहयोग की ओर
स्मार्ट सिटीज से स्वावलंबी गांवों की ओर
विनाश की अंधी दौड़ से
सार्थक निर्माण की ओर

नष्ट होने के पहले यह दुनिया
आपके रास्ते पर एक न एक दिन
लौटेगी ज़रूर, बापू
क्योंकि आप व्यक्ति नहीं, विचार थे
और विचार को मारने वाला गोडसे
कभी पैदा ही नहीं हुआ !

ध्रुव गुप्त

 

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