नारी

नारी

मैं शक्तिस्वरुपा,धरनी सी,
ससक्त नारी हूँ।
मैं अम्बर, चाँद सितारा हूँ।
मैं अग्नि, तेज ज्योतिपुंज हूँ।
मैं नारी हूँ।
मै प्यार, ममता करुणामय हूँ।
श्रृंगार रस की, मल्लिका हूँ।
मैं नारी हूँ।
मैं बेटी,बहन पत्नी हूँ।
माँ की ममतामयी रुप हूँ।
मैं नारी हूँ।
माता-पिता का सम्मान हूँ।
परिवार की आन,वान,शान हूँ।
मैं नारी हूँ।
रिश्तों में संस्कृति, संस्कार हूँ।
मैं गृहलक्ष्मी, अन्नपूर्णा हूँ।
मैं नारी हूँ।
मैं जन-जन की जननी हूँ।
मैं अद्भुत शक्ति शाली हूँ ।
मैं नारी हूँ।
मैं धैर्यवान, सहनशील हूँ।
पृथ्वी सी सख्त,कठोर हूँ।
मैं नारी हूँ।
मैं घर,अंगना की लक्ष्मी हूँ।
रणभूमि में लक्ष्मी बाई हूँ।
मैं नारी हूँ।
मैं गंगा, जमुना, सरस्वती हूँ।
मैं मान,सम्मान की अधिकारी हूँ।
मैं नारी हूँ।


छाया प्रसाद

साहित्यकार

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