नागरिकता संशोधन कानून

नागरिकता संशोधन कानून

 

नागरिकता संशोधन कानून के बारे पढें और समझे । एक बहुत बड़ी भ्रांति फैलाई जा रही है कि यह बिल माइनॉरिटी के खिलाफ है, यह बिल विशेषकर मुस्लिम समुदाय के खिलाफ है।किसी के बहकावे में ना आएं।हम एक हैं हमें कुछ राजनीतिक दलों के बहकावे में नहीं आना है।

नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 को राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने 12 दिसंबर को मंजूरी दे दी। इसके साथ ही अब यह अधिनियम बन चुका है। इस विधेयक को लोक सभा ने 9 दिसंबर और राज्य सभा ने 11 दिसंबर को अपनी मंजूरी दे दी थी। यह अधिनियम इतिहास के पन्नोंपर स्वर्णाक्षरों से लिखा जायेगा तथा यह धार्मिक प्रताड़ना के पीड़ित शरणार्थियों को स्थायी राहत देगा।

** नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019, बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में प्रताड़ित धार्मिक अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने से सम्बंधित है। इन देशों में पिछले कई दशकों से हिन्दुओं,
सिख, जैन, बौद्ध और पारसी लोगों के साथ शारीरिक एवं मानसिक उत्पीड़न हो रहा है। इसलिए इन धर्मों के अनुयायी समय-समय पर विस्थापित होकर भारत आते रहे हैं। तकनीकी तौर पर उनके पास भारत
की नागरिकता हासिल करने का कोई ठोस दस्तावेज उपलब्ध नहीं होता है। अतः एक भारतीय नागरिक को मिलने वाली सुविधाओं से वह वंचित ही रहते हैं।

** धार्मिक आधार पर भेदभाव एक शर्मनाक घटना है। जिसका किसी भी राष्ट्र में होना वहां के मानवीय मूल्यों का ह्रास दर्शाता है। पाकिस्तान की नेशनल असेम्बली के अनुसार हर साल 5,000 विस्थापित हिन्दू भारत
आते हैं। (डॉन, 13 मई, 2014)

**यह संख्या अाधिकारिक आंकड़ों से बहुत ज्यादा है। हमारे पड़ोसी देशों में अल्पसंख्यकों को जबरन धर्म परिवर्तन, नरसंहार, बलात्कार और संपत्तियों पर अवैध कब्ज़ा सहना पड़ता है। इन सबसे बचकर जब वह भारत आते हैं, तो यहां उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य और दूसरी मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल सकती। यह पूर्ण रूप से मानवीय अधिकारों का हनन हैं

**इसमें कहा गया है कि यदि कोई ऐसा व्यक्ति नागरिकता प्रदान करने की सभी शर्तों को पूरा करता है, तब अधिनियम के अधीन निर्धारित किये जाने वाला सक्षम प्राधिकारी, अधिनियम की धारा 5 या धारा 6 के अधीन ऐसे व्यक्तियों के आवेदन पर विचार करते समय उनके विरुद्ध ‘अवैध प्रवासी’ के रूप में उनकी परिस्थिति या उनकी नागरिकता संबंधी विषय पर विचार
नहीं करेगा।

**नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 बनने से पहले भारतीय मूल के बहुत से व्यक्ति जिनमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश, पाकिस्तान के उक्त
अल्पसंख्यक समुदायों के व्यक्ति भी शामिल हैं, वे नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 5 के अधीन नागरिकता के लिए आवेदन करते थे। किंतु यदि वे अपने भारतीय मूल का सबूत देने में असमर्थ थे, तो उन्हें उक्त
अधिनियम की धारा 6 के तहत ”प्राकृतिकरण” (Naturalization) द्वारा नागरिकता के लिये आवेदन करने को कहा जाता था। यह उनको
बहुत से अवसरों एवं लाभों से वंचित करता था।

**इसलिए नागरिकता अधिनियम 1955 की तीसरी अनुसूची का संशोधन कर इन देशों के उक्त समुदायों के आवेदकों को ”प्राकृितकरण” (Naturalization) द्वारा नागरिकता के लिये पात्र बनाया गया है। इसके लिए ऐसे लोगों मौजूदा 11 वर्ष के स्थान पर पांच वर्षों के लिए
अपनी निवास की अवधि को प्रमाणित करना होगा।

**नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 में वर्तमान में भारत के कार्डधारक विदेशी नागरिक के कार्ड को रद्द करने से पूर्व उन्हें सुनवाई का अवसर प्रदान करने का प्रावधान है।

**उल्लेखनीय है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 में संविधान की छठी अनुसूची के अंतर्गत आने वाले पूर्वोत्तर राज्यों की स्थानीय आबादी को प्रदान की गई संवैधानिक गारंटी की संरक्षा और बंगाल पूर्वी सीमांत
विनियम 1973 की ”आंतरिक रेखा प्रणाली” के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों को प्रदान किये गए कानूनी संरक्षण को बरकरार रखा गया है।नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 की मुख्य बातें

** यह भी व्यवस्था की गयी है कि उनके विस्थापन या देश में अवैध निवास को लेकर उन पर पहले से चल रही कोई भी कानूनी कार्रवाई स्थायी नागरिकता के लिए उनकी पात्रता को प्रभावित नहीं करेगी।

**ओसीआई कार्डधारक यदि शर्तों का उल्लंघन करते हैं तो उनका कार्ड रद्द करने का अधिकार केंद्र को है, पर उन्हें सुना भी जाएगा।

**तीनों देशों से आए धर्म के आधार पर प्रताड़ित ऐसे लोगों को संरक्षित करना ।इस विधेयक का उद्देश्य है|

** भारत के अल्पसंख्यकों का इस बिल से कोई अहित नहीं है |

** इसमें उन तीन देशों के अल्पसंख्यकों को ही नागरिकता देने का प्रावधान है।

**जो किसी भी तरह से भारत के संविधान के किसी भी प्रावधान के खिलाफ नहीं जाते हैं ऐसे शरणार्थियों को उचित आधार पर नागरिकता प्रदान करने के
प्रावधान हैं ।

**पश्चिमी बंगाल के अन्दर ढेर सारे शरणार्थी आए हुए हैं, अगर वे 1955 में आए, 1960 में आए, 1970 में आए, 1980 में आए, 1990 में आए या 2014की 31 दिसंबर के पूर्व आए, उन सभी को उसी तिथि से नागरिकता दी जाएगी, जिस तिथि से वे आए हैं।

**इससे उनको कोई कानूनी कार्यवाही नहीं झेलना पड़ेगा।

**अगर ऐसे अल्पसंख्यक प्रवासी के खिलाफ अवैध प्रवास या नागरिकता के बारे में, घुसपैठ या नागरिकता के बारे में कोई भी केस चल रहा है, तो वह केस इस बिल के विशेष प्रावधान से वहीं पर समाप्त हो जाएगा।

** जो पूर्वोत्तर के राज्य हैं, उनके अधिकारों को, उनकी भाषा को, उनकी संस्कृति को और उनकी सामाजिक पहचान को उनको संरक्षित करने के लिए भी इसके अंदर प्रावधान हुए हैं।

** जनजातीय इलाकों पर यह बिल लागू नहीं होगा।

**उत्तर-पूर्व के सभी राज्यों में जो प्रोटेक्शन दिया गया है, उसी को आगे बढ़ाते हुए, Sixth Schedule में असम, मेघालय, मिज़ोरम, त्रिपुरा और अब पूरा मणिपुर भी नोटिफाई हो चुका है।

**इसी तरह Bengal Eastern Frontier Regulation Act, 1973 के तहत Inner Line Permit के इलाके, पूरा मिज़ोरम, अरुणाचल प्रदेश, अधिकांश नागालैंड और मणिपुर, इन सारे एरिया में भी ये प्रावधान लागू नहीं होंगे।

** असम के सभी मूल निवासियों की सभी हितों की चिंता क्लॉज़- 6 कमिटी के माध्यम से किया जायेगा ।

**उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों के लोगों की भाषाई, सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान को संरक्षित रखा जाएगा और इस विधेयक में संशोधन के रूप में इन राज्यों लोगों की समस्याओं का समाधान है।मुस्लिम समुदाय के खिलाफ नहीं है यह विधेयक।

डॉ राणा एसपी सिंह

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