कोविड -19 और गर्भवती स्त्री

कोविड -19 और गर्भवती स्त्री

आज कोविड-19 ने पूरे विश्व को अपने चपेट में ले लिया है । विश्व में बढ़ते हुए संक्रमण को संभालने और इलाज करनें के लिए हर स्तर पर विस्तार से कार्य हो रहें हैं। इस वायरस के तीव्रता को मेडिकल सेवा और रिसर्च में लगें, हर क्षेत्र के चिकित्सकगण और वैज्ञानिक इस समस्या के सामाधान करनें की कोशिश कर रहे हैं। इस वैश्विक महामारी और संक्रमण काल में गर्भवती महिलाएं अन्य लोगों की अपेक्षा अधिक डरी हुई हैं कि कहीं उनके आने वाली संतान इस संक्रमण के चपेट में ना आ जाएं।

इन सब स्थितियों को देखते हुए :—

WHO (वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन )के तत्वाधान में AIIMS (अॉल इंडिया इंस्टिट्यूट अॉफ मेडिकल साइंस ,नयी दिल्ली )एवं FOGSI ( फेडरेशन अॉफ ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजिकल सोसाइटी अॉफ इंडिया ) एवं ACOG(द अमेरिकन कॉलेज अॉफ ऑब्स्टेट्रिशियंस एंड गायनेकोलॉजिस्ट्स) द्वारा कोविड-19 के महामारी के समय गर्भवती स्त्रियों के लिए कुछ गाइड लाइन बनाये गये हैं एवं विशेष निर्देश स्त्रीरोग विशेषज्ञों को दियें गयें हैं ।

कोविड-19 संक्रमण बहुत ही तेजी से बढ़ रहा है,तो गर्भवती महिलाओं के लिए अपने एवं गर्भ के शिशु की रक्षा के लिए विशेष निर्देश जारी किएं गएं :—

1) गर्भवती घर पर ही रहे ।गर्भधारण के शुरूआती 12 सप्ताह में कोशिश करें ,घर में ही रहने की।सोशल डिस्टेंसिंग बाद के भी सप्ताह में आवश्य पालन करें।जहाँ तक हो सकें भीड़ भाड़ से बचना है।

2) हाथों को साबुन से धोते रहें।

3 )अपने चेहरे को ना छुए, यानी अपने आँखों,नाक और मुँह को ना छुए ।

4 )सामाजिक दूरी बनायें रखें , अपने घर पर भी और लोगों से छह फीट की दूरी बनाये रखें क्योंकि घर के लोग भी बाहर से संक्रमित हो सकते हैं।

5 )खाँसी या छींक आने पर अपनी केहुनी या टिश्यू पेपर पर रोकें ।

6)स्वाँस प्रणाली की उचित देखभाल करें।

7)ज्यादा ठंडा पानी ना पीएं ।

8)पौष्टिक आहार लें जिसमे प्रोटिन ,विटामिन ,जरूरी माइक्रोन्यूट्रियेंट आदि शामिल हो।

9)गर्भवती महिला अपने शरीर की साफ सफाई पर विशेष ध्यान दें।

10) खून की कमी ना हो इसका ध्यान रखें ।

11)इस विषम स्थिति में अपने मानसिक स्वस्थ का भी ख्याल रखना चाहिए । सकारात्मक सोच रखें ।

12) जहाँ तक हो सकेंं देश,विदेश की यात्रा ना करें ।

13) काम करने वाली महिला जहाँ तक हो सकें घर से ही अॉफिस का कार्य करें ।

14) जिन गर्भवती महिलाओं को गर्भ के दौरान उच्च रक्तचाप या मधुमेह (Hypertension या Diabetes) , दिल की या और कोई बीमारी है तो वे अपने डॉक्टर के संपर्क में रहें और उनसे सलाह लेती रहें ।

15) हॉस्पिटल या डॉक्टर को अपने आने की सूचना पहले से दें,जिससे वे सावधानी रखते हुए ,जाँच एवं इलाज करेंगे ।

16)किसी तरह की परेशानी होने पर अपने स्त्रीरोग विशेषज्ञ से तुरंत संपर्क करें, ताकि वे आपकी परेशानियों को सुलझा सकें किंतु भीड़ बनाकर चिकित्सा के लिए ना जायें मतलब घर के किसी एक जिम्मेदार सदस्य के साथ ही जायें ।

17)कोविड संक्रमण के इस समय में ,यदि गर्भवती को बुखार ,खाँसी या स्वाँस लेने में परेशानी हो ,तो तुरंत सहायता की माँग करें और मेडिकल और स्त्रीरोग विशेषज्ञ से सलाह लें ।

गर्भवती स्त्री पर कोविड-19 का असर :

अधिकत्तर मरीजों के लक्षण :—–

*हल्की या मध्यम सर्दी या फ्लू
*गले में ख़राश
*बुखार 37 .8 डिग्री सेंटीग्रेट

कम उम्र या नाबालिग गर्भवती लड़कियों के लिए भी ऊपर दिये निर्देशों का पालन करना चाहिए ।

अधिक उम्र की गर्भवती महिलाओं में :—-

*थकान
*अस्वस्थता
*शरीर में दर्द
*जी मिचलाना एवं दस्त आदि की शिकायत हो सकती है।

संक्रमण की गंभीर स्थिति में :—–

*साँसों में कमी
*अक्यूट रेस्पीरेटरी इल्नेस ( स्वाँस प्रणाली की बीमारी)
*न्यूमोनिया
* अल्प अॉक्सीजन ( Oxygen की मात्रा में कमी )

अधिक बीमार होने की स्थिति में :—–

अॉक्सीजन की कमी के कारण 50 प्रतिशत से ज्यादा फेफडों में संक्रमण हो जाता हैं ।जिसके लिए विशेष जाँच एवं इलाज की आवश्यकता होती हैं।

AIIMS (अॉल इंडिया इंस्टिट्यूट अॉफ मेडिकल साइंस ,नयी दिल्ली )एवं FOGSI ( फेडरेशन अॉफ ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजिकल सोसाइटी अॉफ इंडिया ) एवं ACOG(द अमेरिकन कॉलेज अॉफ ऑब्स्टेट्रिशियंस एंड गायनेकोलॉजिस्ट्स) द्वारा उन गर्भवती स्त्रियों , जिनमें कोरोना संक्रमण होने का संदेह है ,या जो कोरोना से ग्रसित हैं, उनके लिए जाँच और इलाज के लिए नये नियम बनाये गये हैं। नियम के अनुसार स्त्रीरोग विशेषज्ञ एवं मेडिकल चिकित्सक उस गर्भवती के अलग अलग शिकायतों को देखते हुए और उसके जाँच में पाये गये रिपोर्ट एवं लक्षणों के अनुसार उस गर्भवती का इलाज का तरीका निर्धारित करेंगे।

गर्भवती महिला को आइसोलेशन में रखकर इलाज किया जाता था।

चिकित्सकों और अन्य स्वस्थ सेवाकर्मियों को भी अपनी सुरक्षा का पूरा ध्यान रखने की आवश्यकता है,क्योंकि अभी तक बचाव के लिए कोई उपयुक्त दवा या टीका नही है ,जिससे वे संक्रमित होने से स्वयं को बचा सकें।

इस समय गर्भवती महिला के गर्भ का शिशु संक्रमण से कितना सुरक्षित रहेगा , यह कहा नही जा सकता है , पर गर्भवती महिला यदि सुरक्षा के नियमों का सही से पालन करे,तो अपने गर्भ के शिशु की रक्षा कर सकती है।अभी तक देश विदेशों में जो बच्चें जन्में हैं ,उनमें संक्रमण बहुत ही कम पाया गया है,जैसे सामान्य स्थिति में अन्य बीमारियोंं में पाया जाता रहा है।

इस महामारी के समय यह भी आवश्यक है कि प्रसव का दर्द होने पर गर्भवती प्रसव के लिए हॉस्पिटल ही जायें ।

यह समझना उचित होगा कि प्रसव क्रिया के समय और प्रसव के बाद भी महिला को आइसोलेसन में रखना अति आवश्यक है।

ऐसे तो कोरोना से ग्रसित होने पर शिशु को माँ का दूधध पिलाने पर विभिन्न राय हैं, पर यदि माता कोरोना से ग्रसित नही है, तो माँ का शिशु से स्कीन टच( बदन से स्पर्श) मना नही है और माँ अपनी और संतान की सफाई के बाद नवजात संतान को गोद में ले सकती है ,मास्क पहन कर अपना दूध पिला सकती है क्योंकि माँ के दूध में वायरस नही आता है ।

किंतु यदि स्त्री में कोरोना की संभावना है या वो कोरोना से ग्रसित है तो मास्क पहनकर आइसोलेशन में सफाई के निर्देशों के साथ ही रहे और नवजात से दूर रहे । तब माता के स्तन से पंप द्वारा दूध निकालकर कर स्वस्थ नर्स या अन्य ही नवजात को दूध पिलाये । जब तक माता पूर्ण से स्वस्थ और वायरस विहीन नही होती है।

( अभी भी कोरोना वाइरस से संबंधित अनेक तरह के विचार आ रहे हैं ,जो आगे समय के साथ बदल सकते हैं ।पर गर्भवती स्त्री के सुरक्षा के निर्देशों को शत प्रतिशत पालन करना अति आवश्यक है )

इस तरह डॉक्टरों, विशेषज्ञों ,अस्पतालों के लिए कई गाईड लाइन ( नियम)हैं ,जिसके अनुसार वे गर्भवती स्त्री का देखभाल और इलाज इस कोरोना वाइरस से कर रहे हैं और हम सब ईश्वर से प्रार्थना करते हैं एवं आशा करते हैं कि शीघ्र ही कोरोना महामारी के प्रकोप से देश और विश्व का निवारण हो। हम सब मानव जाति का भय, हताशा दूर हो ,सबकी रक्षा हो और हमारा भारत देश, सारा विश्व फिर से हँसे मुस्कुराये । हार्दिक मंगलकामनाओं सहित ।

डॉ आशा गुप्ता
स्त्रीरोग विशेषज्ञ एवं साहित्यकार
जमशेदपूर,झारखंड,भारत

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