एक दूसरे के साथ जीना
प्रेम करने से पूर्व
मैं तुम्हें जानती नहीं थी ,
मैं तुम्हें नहीं जान पाई
प्रेम करने के बाद भी ,
पर इस जानने
और न जानने के बीच ,
रास्ते में आई
रिश्तों की पगडंडी ने,
थक चुके मेरे मन को
ये सिखा दिया है कि ,
प्रेम का सही अर्थ
एक दूसरे को जानना नहीं
बल्कि ,
एक दूसरे के साथ जीना है ,
बिना किसी शर्त
बिना किसी उम्मीद
बिना किसी शिकायत के
एक दूसरे के साथ जीना……. !!
डॉ कल्याणी कबीर
साहित्यकार और शिक्षाविद
जमशेदपुर, झारखंड