इस चित्र को बारह वर्षीय नचिकेत परमार ने बनाया है जिस में उन्होंने बेहद खूबसूरत, स्पष्ट और सार्थक संदेश के साथ चेतावनी भी दिया हैं।
नचिकेत परमार
विश्व पर्यावरण दिवस
विध्वंसक नही संरक्षक बने
समस्त ब्रह्माण्ड मे
खरबो खरबो मिलों तक फैले
आकाशगंगा मे
जीवन का नमोनिशान नहीं
न उपस्थित प्राणवायु
न ही जल
न परमाणु का वह संयोग
जिससे उत्पन्न हो सके जल की अणु
और उत्पत्ति हो सकें कोशिका
भिन्न भिन्न प्रजाति की कोशिकाएं
न ही वह ताप
न ही वह दबाव
न ही सूर्य से उतनी दूरी
न ही गुरूत्वाकर्षण बल
न ही यह उर्वरक भूमि
जंगल ,रेगिस्तान, पहाड़, समुद्र, द्वीप
यह अनमोल उद्भूत तत्वों के समन्वय
जिससे निर्मित हो सकी पृथ्वी
और पर्यावरण
मानव हैं इस उद्भूत सृष्टि का
सर्वोच्च रचना
बौद्धिक चेतना और प्रगतिशीलता से पूर्ण
विडंबना जो वरदान हैं
वहीं अभिशापित बन गया
पर्यावरण और पृथ्वी के लिए
वनों की कटाई
शहरीकरण
आधुनिकीकरण
औद्योगिकीकरण
जनसंख्या वृद्धि से
असंतुलित असुरक्षित पर्यावरण
सचेत जा
हे मानव! क्षणिक सुविधा स्वार्थपरता मे
न विध्वंसक बन
संरक्षक बन
सुरक्षित कर भावी भविष्य को
ले संकल्प
जल
वाहनों
मशीनों
खनिज पदार्थो
प्लास्टिक आदि का
उपयोग कम से कम करे
और वृक्षारोपण
सौर ऊर्जा का उपयोग
जल संग्रह और संरक्षित करे
अर्पणा संत सिंह