अबल पुरुष
पहले रहे होंगे पुरुष प्रबल और प्रभावशाली, पर आजकल वे बड़े अबल होते जा रहे हैं। सच में, क्या कहा? आप नहीं मानते? चलिए तो मैं बताती हूं।जब से सोशल मीडिया और डेटिंग साइट का बोलबाला हुआ है तब है पुरुष, जो है, बेचारा होता चला जा रहा है।ये हम सभी को ज्ञात है, इणस भोले जीव को अपने आस पास के सभी लोग अच्छे और भले लगते हैं, और यदि वे महिलाएं हो तो अधिक, कभी अत्याधिक अच्छी लगती हैं।यदि ये साधु प्राणी विवाहित है तब भी, उसका मन अपनी प्राण प्यारी पत्नी से थोड़ा उचट जाता है और वो भटकता है मात्र प्रेम के कुछ मीठे बोल के लिए, आपको पता ही है, कहावत घर की मुर्गी दाल बराबर।पर अब यह निर्बल पुरुष, घर का मुर्गा स्वयं को आलू बराबर समझता है। बस, बेचारा घर की दाल से परेशान बाहर की मुर्गियां को तलाशता है। आलू, जो हर सब्जी के साथ मिल जाता है, बस वैसे ही ये मुर्गा भी, सभी महिलाओं के प्रति स्वतः ही सौम्य और उदार मन से प्रेमिल व्यवहार करता है ताकि आलू के समान सबसे हिलमिल रह सके।पर आजकल की मुर्गियां इतनी सबल, तेज, स्मार्ट हैं, स्मार्टफोन जैसी की बस! कभी ब्लॉक कर देती हैं, कभी स्क्रीन शॉट लेकर नाम जग जाहिर कर देती हैं, कभी वीडियो बनाकर वाइरल कर देती हैं, कभी नारीवाद का भाषण सुनाकर कान के कीड़े मार देती हैं। और तो और साइबर क्राइम और पुलिस तक जा पहुंचती है नाहक ही। मंदबुध्दि पुरुष तो केवल सरल भाव से दोस्ती करना चाहता है, बस इसलिए बार बार, लगातार, प्रयासरत रहता है, बस कभी कभी नासमझी में हद भूल जाता है उसके लिए इतने कड़ी सजा देती हैं ये।और घर की दाल, उसकी कोई तारीफ कर दे तो कितना परेशान होना पड़ता है, चिंता करनी पड़ती है क्योंकि वो भी किसी के लिए बाहर की मुर्गी होती है।ऊपर से अधिकांश कानूनी दांव-पेंच महिलाओं के पक्ष में हैं। और आजकल सब उनको बताते फिरते हैं, ये तुम्हारे अधिकार हैं, ये हित है ये अहित है।तो सजग होती जा रही है नारी, और बलहीन होता जा रहा नर। फिर भी ठर्की, ढोंगी, चरित्रहीन, और जाने क्या क्या जैसी उपाधियों से नवाजा जाता है।दोस्ती करने को आतुर भोला भाला जीव करे भी तो क्या? जाए भी तो कहां?? आई ना दया बेचारे पर? इसलिए तो कहा मैंने पहले रहे होंगे पुरूष प्रबल और प्रभावशाली, पर आजकल वे बड़े अबल होते जा रहे हैं।
अंकिता बाहेती
क़तर