विनायक पूजन
तीज त्यौहार की रौनक कुछ ऐसी आई ,
संग पार्वती गजानन लाई।
कितनी अद्भुत लीला है,
बरसो बाद ये नज़ारा है।
ना ही ढोल और ताशे है,
ना ही बाप्पा का नारा है।
सूनी आंखें पंडाल नदारत,
मंदिर में मीलों की सूनी कतार नदारत।
ना वो मोदक ना वो वेंडी ,
मूर्तिकारो के आंगन फीके
कैसे करो उनका उद्धार।
भूले क्या वो जयजय कार
जब किया विसर्जित ,ये वादा करके,
अगले बरस तू जल्दी आना।
अब आओ सबके घर आंगन में ,
गली गलूचे, अंतर्मन में।
ना फेकेंगे अब नालों और सड़को पे।
धरेंगे अपने पौधों की जड़ में।
सीचेंगे हर रोज़ अपनी बगिया
आन बसो दिल के कोने में।
विनी भटनागर
दिल्ली