मीठे बोल

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जो भी देवेश की कक्षा से स्टाफ रूम में आता, वह झल्लाते हुए कहता-” पता नहीं यह कैसा लड़का है नाक में दम कर रखा है।” कोई भी टीचर ऐसा नहीं था जो उसकी शिकायत ना करता हो ।सभी को परेशान कर रखा था उसने । देवेश सामान्य बालकों से अलग था । या कह सकते हैं कि कुछ एबनार्मल था । कभी-कभी वह पागलों जैसी हरकतें करता था| कक्षा में कभी पढ़ने में मन नहीं लगाता । जब शिक्षक कक्षा में पढ़ाते रहते तब वह बार-बार पूछता – “पेज नंबर ” हर 5 मिनट के बाद पेज नंबर पूछने पर सारे शिक्षक चिढ़ जाते थे । उसे डांट मिलती थी पर उस पर कोई असर नहीं हो रहा था । सभी बच्चों को पढ़ाई में काफी दिक्कतें आती थीं ।
सभी यही सोचते थे कि देवेश का एक अलग स्कूल में एडमिशन कराना चाहिए। उसे स्कूल से निकालने की बात होती, पर आर.टी.इ. के कारण उसे निकला भी नहीं जा सकता था । एक दिन तो उसने हद कर दी पूरे बोतल का पानी अपने सिर पर डाल रहा था । बच्चे मना करते तो उन पर भी डालने लगा ।
एक बार एक दूसरी शिक्षिका रीता मिस उसकी कक्षा में पहली बार गयीं।उन्होंने उसके हाव-भाव पर पूरा ध्यान दिया । फिर उसे अपने पास बुला कर बोली – “तुम ऐसा क्यों करते हो मुझे बहुत बुरा लगता है अगर तुम ऐसा करोगे तो मैं तुमसे बात नहीं करूंगी।”
देवेश बहुत दुखी हो गया वह बार-बार कहने लगा – “नहीं अब से ऐसा नहीं करेंगे आप ऐसे मत बोलिए ।मैं पानी भी नहीं फेकूंगा , पेज नंबर भी नहीं पूछूंगा, किसी बच्चे से लड़ाई भी नहीं करूंगा । आप मुझसे बात करेंगी ना ?” रीता ने कहा “अगर तुम ठीक से रहोगे तभी मैं तुमसे बात करूँगी नहीं तो मैं कभी भी तुमसे बात नहीं करूंगी और स्कूल छोड़कर भी चली जाऊंगी ।”
यह बात उसके दिमाग पर जादू की तरह असर कर गयी । वह चुपचाप अपनी सीट पर जाकर बैठ गया । उस दिन उसने कोई बदमाशी नहीं की ।टीचर्स जो कुछ भी लिखाते उसे लिखने की थोड़ी बहुत कोशिश की थी । अपने अनुभव को रीता ने स्टाफ रूम में आकर सुनाया । फिर सभी टीचर्स ठीक ऐसा ही करने लगे । देवेश सबको खुश रखने के लिए चुप रहने लगा । धीरे-धीरे उसकी शैतानियां कम हो गई और वह शांत हो गया । पढ़ाई में भी थोड़ी रुचि जगी । कुछ दिनों बाद उसके माता-पिता उसे चिकित्सक के पास ले गए । शिक्षकों को यह उम्मीद है कि देवेश बिल्कुल ठीक हो जाएगा रीता मिस बार-बार यही प्रार्थना करती कि हे भगवान देवेश ठीक हो जाए।

संजू वर्मा
शिक्षिका
जमशेदपुर, झारखंड

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