गुरु वंदना
गुरुजनों के ज्ञान को , तू देना सदा सम्मान ।
दुख संताप वे हर लेगें , ऐसे वे इंसान ।।
लोभ दौलत का तुझको है तो,विद्या धन एकत्र कर।
चोर न चोरी कर सके , तू चाहे सर्वत्र भर।।
विद्या और कल्याण की दौलत, लूट सके तो लूट।
कोई न जाने किस पल बंदे ,प्राण जायेंगे छूट ।।
गुरुजन बांटें जग में खुशियाँ , वे अच्छे इंसान।
मंदिर मस्जिद तू क्यों भागे ,वे सच्चे भगवान।।
विद्या अर्जन का रास्ता ,कठिन बहुत है होता।
संकटों से सामना ,और चलना कांटों पर होता।।
कर्म सदा करता जा तू , फल की चिंता न कर।
मीठा ही तू पायेगा , गुरु उपदेशों को अपनाकर।।
गुरुवाणी को मान ले , मान ले तू हर बार।
कर के दृढ़ संकल्प तू , खुद को कर तैयार।।
गुरुर्ब्रम्हा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वराः ।
गुरुः साक्षात परं ब्रम्ह तस्मै श्री गुरवे नमः।।
कल्पना लालजी
साहित्यकार
मॉरीशस