स्पेशल-वार्ड

स्पेशल-वार्ड

“दीदी, माँ आएगी न….माँ मेरे पास क्यों नहीं आती?….. मुझे बहुत दर्द हो रहा है….. मुझे उसके बिना नींद नहीं आती.”
पांच साल का नन्हा रोहित अस्पताल के स्पेशल-वार्ड के बेड नंबर ग्यारह पर पड़ा, आने-जाने वाली हर नर्स से यही सवाल करता, फिर सुबक-सुबक कर रोने लगता.
अस्पताल के उस स्पेशल वार्ड की हेड नर्स शांता ताई उस नन्हे फ़रिश्ते को कैसे बताये कि डॉक्टर के कहने पर उसने ही उसकी माँ को यहाँ आने, बेटे को छूने, गोद में लेने की सख्त मनाही की है. उसकी माँ ही नहीं परिवार का कोई भी सदस्य वहाँ नहीं आ सकता था. उस वार्ड में जितने भी मरीज़ थे सबके साथ ऐसा ही व्यवहार हो रहा था, परन्तु रोहित की पीड़ा और बेचैनी शांता ताई को रात भर सोने नहीं देती थी.
रोहित की बेचैनी और घबराहट दिन-प्रतिदिन बढ़ रही थी…. इतना छोटा बच्चा किसी को अपने पास न पाकर रोते-रोते सो जाता. दवाई-इंजेक्शन के लिए नर्स उठातीं तो माँ….माँ चिल्लाने लगता।
एक दिन रोहित की माँ जब अपने बेटे को दूर से देखने अस्पताल पहुंची तो उसे शांता ताई दिख गईं, उसने उनके पैर पकड़ लिए और बोली, “मुझे कोरोना का भय नहीं है, आप मुझे मेरे बच्चे के साथ रहने दीजिये …”
अस्पताल के नियमों और डॉक्टरों की चेतावनी का उलंघन करना अपराध था, लेकिन रोहित और उसकी माँ की पीड़ा भी असहनीय थी…
शांता ताई ने रोहित की माँ से कहा कि वे अस्पताल के नियमों का उलंघन नहीं कर सकतीं लेकिन वे वादा करतीं हैं कि वे रोहित को माँ की कमी न खलने देंगीं …

अब शांता ताई रोहित को अपने हाथों से नहलातीं, ख़िलाती, दवाई देतीं और गोद में लिए रहतीं, इस बात से बेख़बर कि वे कोरोना की चपेट में आ चुकीं हैं…
रोहित की उखड़ी-उखड़ी सांस अब थमने लगी थी.. अब उस पर दवाई का असर हो रहा था.. लगभग बाईस दिनों की कठिन तपस्या के बाद रोहित को घर जाने की इजाज़त मिल गई.. रोहित की माँ बेटे को लेने आई तो अस्पताल के एक-एक कर्मचारी, डॉक्टर, नर्स को दुआएं दे रही थी, लेकिन उसकी नज़रें शांता ताई को खोज रही थी.. किसी ने उँगली से बेड नंबर दस की ओर इशारा किया, जिस पर शांता ताई लेटी थीं, मरीज़ बन कर…. शांता ताई ने जब उसे देखा तो एक कष्ट भरी मुस्कराहट उनके अधरों पर तैर गई… वे इशारे से रोहित को आशीर्वाद दे रहीं थी… इशारे से ही उन्होंने बताया कि वे जल्द ठीक हो जाएंगी, चिंता की बात नहीं है.
सजल नेत्रों से रोहित की माँ ने उस देवपुत्री को प्रणाम किया और उस स्पेशल-वार्ड से बाहर आ गई……..

सुधा गोयल ‘नवीन’

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