हमारी त्वचा
स्वस्थ एवं सुंदर त्वचा, निखरा हुआ रंग हरेक की चाहत होती है। आइए पहले जानते हैं कि आखिर यह त्वचा है क्या? त्वचा शरीर का वाह्य आवरण है जिसे एपिडर्मिस भी कहते हैं। यह शरीर प्रणाली का सबसे बड़ा अंग है और उपकला उत्तक की कई परतों द्वारा बनता है ।अंतर्निहित मांसपेशियों, अस्थियों, अस्थिबंध और अन्य शारीरिक अंगों को वाह्य वातावरण से संपर्क में आने से त्वचा ही हमारी रक्षा करता है। हमारी त्वचा सीधे-सीधे वातावरण के संपर्क में आती है। यह विभिन्न परिस्थितियों में अनेक रोगजनक कारकों के खिलाफ शरीर की सुरक्षा में संलग्न रहती है ।इसकी शारिरिक सुरक्षा प्रणाली में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका है। यह वातावरण में उपस्थित ताप रोधन संवेदना ,तापमान विनिमय, विटामिन बी का संश्लेषण और विटामिन बी फोलेट का संरक्षण करती है। त्वचा अक्सर रंगहीन होती है ।मानव में त्वचा का रंग उसकी प्रजाति के अनुसार बदलता है। इसका रंग गोरा, काला , भूरा आदि हो सकता है।इसकी प्रकृति तैलीय, शुष्क अथवा मिश्रित हो सकती है। त्वचा में कई परतें होती है जिसमें डर्मिस, एपिडर्मिस, हाइपोडर्मिस मुख्य रूप से है।इसके अंतस में कठोर संयोजी उत्तक ,बालों के रोम और पसीने की ग्रंथियां होती हैं। त्वचा के नीचे वसा और संयोजी उत्तक होते हैं। त्वचा में मेलेनिन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसकी कम अधिकता के कारण ही आंखों का रंग, बालों का रंग और त्वचा का रंग सभी में अलग अलग होता है। मेलेनिन सूरज की किरणों में मौजूद हानिकारक पराबैंगनी किरणों से शरीर की रक्षा करती है ।ये किरणें त्वचा की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाती है। जिससे त्वचा में झुर्रियां पड़ने से लेकर त्वचा का कैंसर रोग तक हो सकता है।
त्वचा के रोग
वातावरण लो बदलाव के कारण तथा जीवन शैली में गड़बड़ी के कारण त्वचा में बहुत सारे रोग हो जाते हैं जिसमें एलर्जी, मुहांसा, खुजली , दाद ,खाज ,घमौरी, त्वचा शोध, सफेद दाग ,फोड़ा ,फुंसी ,रूसी, बिवाई, छाजन ,सोरायसिस , संक्रमण तथा त्वचा के रंग बदलना इत्यादि मुख्य रूप से हैं।
त्वचा रोग के कारण
संबंधित चर्म रोगों के मुख्य कारण संक्रमण, एलर्जी ,केमिकल बेस्ड प्रोडक्ट्स, इम्यून सिस्टम की कमजोरी, फास्ट फूड अधिक खाना , विरुद्ध प्रकृति की चीजें एक साथ खाना,साफ सफाई में कोताही , दवाइयों का साइड इफेक्ट, कम पानी पीना, अत्यधिक धूप, नमी, तैलीय भोज्य पदार्थ, अधिक नमक, अधिक चीनी इत्यादि खाना, लीवर और पाचन तंत्र संबंधी रोग आदि है।
समाधान
त्वचा संबंधी बीमारियों में खानपान का खास ख्याल रखना होता है। त्वचा की संपूर्ण साफ-सफाई तथा स्किन केयर रूटीन को फॉलो करने से त्वचा संबंधी बीमारियों से बचाव संभव है।
त्वचा रोगों का समाधान
त्वचा रोगों का समाधान होम्योपैथ तथा बायोकेमिक दवाओं की चिकित्सा के माध्यम से संभव है। होम्योपैथ दवाओं में सल्फर ,रस टॉक्स, सोराइनम, एपिस मेल, हिपर सल्फर मेजेरियम, थूजा, बेलेडोना, साइलीशिया ,अर्निका, आर्सेनिक एल्बम, काली ब्रोम, बर्बरिस एक्विफोलियम ,कार्बो वेज, बेसिलिनम, कैलकेरिया कार्ब, पेट्रोलियम, ग्रैफाइटिस ,नेट्रम म्यूर इत्यादि दवाएं मुख्य रूप से प्रयोग की जाती है। बायोकेमिक दवाओं में नेट्रम म्यूर ,नेट्रम सल्फ, कैलकेरिया फ्लोर, साइलीशिया, कैल्केरिया सल्फ इत्यादि दवाएं मुख्य रूप से दी जाती हैं। बायोकेमिक कांबिनेशन नंबर 20 त्वचा संबंधी हरेक प्रकार के रोगों में कारगर साबित होती है।
नोट:- दवाई कुशल चिकित्सक के देखरेख में परामर्श अनुसार लें।इन होम्योपैथिक दवाइयों के सेवन में खटाई का सेवन वर्जित है।
डॉ रजनी शर्मा ‘चंदा’
झारखंड,भारत