सीमा भाटिया की कविताएं 

सीमा भाटिया की कविताएं 

 

1.उद्घोष 

 

धूल धूसरित यह धरा बार-बार है पुकार रही

युवा शक्ति को फ़िर से नव चेतना हेतु ललकार रही

 

मस्तक पर तिलक मेरा करो और जोश का वरण करो

रिपु को मिटाने के लिए अस्त्र शस्त्र अब धारण करो

मातृ भूमि की रक्षा हेतु लश्कर अपने बल संवार रही

धूल धूसरित यह धरा..

 

अमन शांति की बहाली के लिए बुलन्द आवाज़ करनी होगी

जात-पात, वर्ण व्यवस्था के खिलाफ़ एक ज़ंग लड़नी होगी

मिशन हो यह क़ामयाब तुम्हारा, हर पल लगा गुहार रही

धूल धूसरित यह धरा..

 

खतरा मुल्क को किस से है, यह समझ लो तुम ज़रा

बाह्य आक्रमण से भी कई गुणा खतरा घर में है भरा

स्वार्थ सिद्ध करने वाले नकाबपोशों के चेहरों से पर्दे उतार रही

धूल धूसरित यह धरा..

 

फिरकापरस्त ताकतों के गुलाम फिर से न बन जाना तुम

चाँद तक पहुँच गए, अब मुझ को भी स्वर्ग बनाना तुम

‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की विचारधारा को फिर से है निहार रही

धूल धूसरित यह धरा बार-बार है पुकार रही

युवा शक्ति को फ़िर से नव चेतना हेतु ललकार रही।

 

2.आराधन

 

अभिसार के उन पावन क्षणों में

मैंने तज दिया अपना ‘अहम’

और कर दिया समर्पित अपना

सर्वस्व तुम्हारे सामने

जैसे कोई चंचल नदिया

अंजाम की परवाह किए बिना

सौंप देती है खुद को हवाले

सागर की लहरों के

और फिर उसमें समाहित हो

अपना अस्तित्व ही मिटा देती है..

 

जानते हो

तुम्हारा वो अदृश्य स्पर्श

रूह को जब-जब छू गया

तो अहिल्या की मानिंद

संवर गयी मैं और

प्रस्तर प्रतिमा से

बन गयी उपासिका

तेरे चरणों की मेरे राम !!

 

मैंने कामना नहीं की कभी भी

तुम पर एकाधिकार की

क्योंकि जानती हूँ मैं कि

किसी को संपूर्ण रूप से

पा लेने का मतलब ही है

जीवन का निरुद्धेश्य हो जाना

और फिर जो आनंद

किसी की खोज में है,

वो उसे प्राप्त कर लेने में कहाँ?

 

इसीलिए

पी गयी विष का प्याला

इस संसार की

दुश्वारियों का

तुम्हारा नाम जपते जपते

और बन गयी

प्रेम दीवानी जोगन

मीरा का रूप धर

तेरी हो गयी मेरे शाम!!

 

अप्राप्य होकर भी

है अजर अमर और

हमेशा रहेगी यह प्रीत

फिर क्यों न मैं

अपने भाग्य पर

खुशी से इतराऊँ और

कुछ ऐसा लिख जाऊँ,

जिसमें प्रवाहित होती रहे

सरल सरस बयार भावों की

छंद अलंकार रहित ये पंक्तियाँ

जब आत्मा किसी की छू जाएंगी

तो कभी मौन वादियों में

प्रेम गीत बन बिखर जाएंगी..

 

सीमा भाटिया

लुधियाना, भारत

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