भारतीय वैज्ञानिक 

  • भारतीय वैज्ञानिक 

 

 

मैं ऋषि कणाद का अनादि कण,

हूँ सूक्ष्म किन्तु न मेरा कोई अंत,

 

मैं देता ज्ञानी आर्यभट्ट सा जगत को शून्य का तत्व,

सूर्यग्रहण, चंद्रग्रहण क्यों होता है सुलझाता मेरा तत्त्व,

 

मैं रसायनशास्त्री नागार्जुन का रसरत्नाकर,

अलग-अलग धातु से स्वर्ण बनाऊ ऐसा मैं जादूगर,

 

मैं योगाचार्य ऋषि पतंजलि जैसा विश्व कल्याणी,

योगसूत्र,महाभाष्य,पतंजलि रसायन-विद्या का ज्ञानी,

 

मैं ज्यामिति शास्त्री बौधायन का प्रमेय,

आयत,वर्ग, समकोण,त्रिभुज का सूत्रों का अमेय,

 

मेरी वंशावली में ही थी अनेकों ब्रह्मवादिनी,

मैत्रेयी,गार्गी, लोपामुद्रा, घोषा-सी मेधावी-ज्ञानी,

 

महामहिम गणितज्ञ भास्कराचार्य मेरे जनक,

पुत्र-पुत्री भेद न करते, पुत्री को लीलावती-सा जनक,

 

मैं महान परोपकारी ऋषि दधीचि-सा विद,

संकटकाल आत्मा-त्याग कर बनाता आयुध,

 

मैं विश्वकल्याण का प्रहरी हूँ,

मैं स्वर्णिम युग का सूर्य हूँ |

अश्विनी केगांवकर 

नेदरलॅंड्स

0