सावन- भगवान शिव का पवित्र महीना
देवों के देव महादेव रूप अद्भुत निराला डमरू धारी त्रिपुरारी नरमुंड,गले कंठमाला सावन में तुम पूजे जाते हर ओर शिव की गूंज त्रिशूल हाथ में, तांडव साथ में सोहे हर एक रूप कैलाशपति,नीलकंठधारी आओ बन प्रलयकारी।आई है देखो विपदा ऐसी हर लो दुख हे त्रिपुरारी भोले भंडारी।बेलपत्र,भांग से पूजे जाते हैं गंगा की धारा से खुश हो जाते हैं।
“शिव ही सुंदर शिव ही पूजा शिव से बढ़कर कोई न दूजा” बिल्कुल सही है सावन का महीना और शिव की आराधना का अनूठा संगम और बारिश की तेज फुहार मन आनंदित कर देती है। कहां जाता है “ओम नमः शिवाय” के जाप मात्र से आपको नई ऊर्जा मिलती है,मानसिक शांति का अनुभव होता है। सावन में भगवान शिव की पूजा के साथ सोमवार के व्रत का भी अलग ही महत्व है। कहां जाता है भगवान शिव को प्रसन्न करना हो तो श्रावण मास के सोमवार का व्रत जरूर करें। भगवान शिव को यह महीना बहुत पसंद है।भक्त भी उनके इस पसंदीदा महीने यानी श्रावण मास को अलग ही अंदाज में बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं।भगवान शिव के हर स्थल को बहुत ही सुंदर आध्यात्मिक रूप से सजाया जाता है। हर ओर बम – बम भोले की गूंज सुनाई देती है।
रुद्राभिषेक,जाप, पाठ के साथ भांग और बेलपत्र से पूजा कर उनके भक्त उन्हें प्रसन्न करने में कोई कमी नहीं छोड़ते। भगवान शिव भी अपने भक्तों पर अतिशय कृपा बरसा कर उनकी हर मनोकामना पूर्ण करते हैं। श्रावण महीने में शिवलिंग पर दूध चढ़ाने की भी अनूठी परंपरा रही है। सावन और भगवान शिव की आराधना से मन आनंदित होता है, असीम शांति प्रदान करती है यह श्रावण मास। यह श्रावण मास सभी के लिए शुभ माना जाता है।महिलाओं के सिंगार का भी बहुत महत्व है। महिलाएं सोलह सिंगार कर इस व्रत को पूरा करती हैं सुहागिनों के लिए बहुत महत्वपूर्ण रहा यह पर्व उन्हें आनंदित करता है।
सावन महीना शुरू होते ही मंदिरों की घंटी कानों में जरूर सुनाई देती है भीड़ साफ दूर तक दिखाई देती है लेकिन इस बार काफी धूमिल है यह सावन का महीना। भगवान शिव का पसंदीदा महीना इस बार थोड़ा फीका है कोरोनावायरस महामारी के वजह से रौनक में कमी है फिर भी भगवान शिव का पसंदीदा महीना तो आखिर पसंदीदा ही है। भक्त इसे अपने ही अनूठे अंदाज में लेकिन मनाई दे जरूर।
आखिर भगवान शिव का पसंदीदा महीना क्यों है आप जानते हैं? पार्वती का दूसरा जन्म इसी महीने हुआ था और शिव को पति के रूप में पाने के लिए उन्होंने कठोर तप सावन मास में ही देवी पार्वती ने की थी।सावन मास भगवान शिव ने पार्वती जी को अपने पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। इसलिए भगवान शिव का प्रिय महीना इसे कहा जाता है।सोमवार के व्रत को भी इसलिए महिलाओं के लिए विशेष मान्यता दी गई है। मनचाहा वर की प्राप्ति होती है यह व्रत करने से। सावन महीने में पांच सोमवार का व्रत इस साल रहने वाला है। बारिश की फुहार के बीच सावन का रंग इस बार थोड़ा फीका जरूर है लेकिन फिर भी लोग अपने भगवान शिव की आराधना घर से ही जरूर कर रहे हैं।सावन पूर्णिमा के दिन रक्षाबंधन का पर्व विशेष महत्व रखता है और इसके बाद सावन महीने की समाप्ति हो जाती है। शिव अपने आप में संपूर्ण हैं। सावन महीने की सुंदरता देखने लायक होती है कहां जा सकता है
“आज देखो झूम रही धरा भी ऐसे
श्रृंगार से भरी है हर डाल-डाल कैसे”
रिमझिम मेघा बरस रहा देखो पावन नीर
हर्षित है शुष्क धरा भी बह गई सब पीर
मेघ बरसे मतवाली चुपके चुपके हौले-हौले
निर्झर बहता पावन जल बिन कुछ बोले हौले
सोंधी खुशबू मिट्टी की जब मेघ संग है आई
सावन की झड़ी लगी और धानी चुनर मुस्काई
नव पल्लव भी झूम रहे भींगे संग बरखा मेघ
तरुण हर शाख की डोल रही संग चंचल मेघ
सावन की सुंदरता के क्या कहने।भगवान शिव के साथ-साथ सावन महीना की पवित्रता सुकून, शांति और मन पवित्र कर देने वाला है। कोरोना महामारी की वजह से जो सावन थोड़ी फीकी पड़ रही है अगले साल यह रंग जरूर पूरे रंग में रंगेगी और सावन की हरियाली के साथ-साथ जो देश पर महामारी जैसी विकट समस्या आई है उससे भी निजात मिलेगी। लोग इस सावन जैसे पवित्र महीने में भी इन सब विपदाओं से जूझ रहे हैं आशा है उन्हें इस समस्या से जरूर निजात मिलेगा। आखिर सावन भगवान शिव का पवित्र महीना जो है।
शुभकामनाओं के साथ
निक्की शर्मा रश्मि
मुम्बई,महाराष्ट्र