सावन की हरीतिमा

सावन की हरीतिमा

सावन की हरीतिमा
धानी ये धरती,
कजरारी मेघा
बारिश की छम छम
हरी बिंदिया
हरी साड़ी,
मह- मह महकती
हरी मेहंदी की धमधम!!
झूलों की उठान
गोरी की तान,
बलखाती नदियां
मेघों का घम घम!!
बौराया मन
भरमाया तन,
बूंदों की सरगम
हवाओं का सन -सन!
ये मौसम ये सावन
धुला धुला मन भावन,
हर कोना हर आंगन
भीगा -भीगा और नम !!

अर्चना रॉय

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