जय श्री राम
आई है बेला अति पावन
घर आ गए मेरे रघुनंदन
बह रही भक्ति की है धारा
राममय हुआ है जग सारा
भगवा ओढ़ लिया नील गगन ने
रच दिया इतिहास आज धरा ने
बिगुल बज गई अब राम युग की
हुई प्राण-प्रतिष्ठा राम लला की
देख मूरत श्री राम प्रभु की
पुलकित हुए नैन सभी की
जीत सत्य की हुई असत्य पर
राम नाम है भारी सब पर
बस यही प्रार्थना है अब मेरी
सुन लो विनती प्रभु तुम मेरी
मन के रावण पर लगे विराम
हर जन हृदय से बन जाए राम
रूपा कुमारी ‘अनंत’
राँची, झारखंड