मेरे प्रिय तुम गुलाब हो!

मेरे प्रिय तुम गुलाब हो!

नेहरू के कोट से चलकर,
प्रियतमा के जूड़े में अठखेले,
रंग बिरंगे चाहे जितने हो, पर,
सुर्ख लाल में हो अलबेले,
मादकता की तुम हो परिभाषा,
तुम सुहाग सेज की अभिलाषा,
मेरे प्रिय तुम गुलाब हो!
हो न !

सुधा गोयल ‘नवीन’

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