गणतंत्र का सबसे मजबूत अस्त्र शिक्षा
72 वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर विशेष शुभकामनाएं। 21वीं सदी का पहला गणतंत्र, युवा भारत के सपनों का गणतंत्र, अंतरराष्ट्रीय फलक पर अपनी पहचान बनाता, राज करता भारतीय गणतंत्र, जन गण मन तक राष्ट्रीयता के संदेश पहुंचाता गणतंत्र । हमारी शैक्षणिक विरासत पर हमें गर्व है…. नालंदा तक्षशिला जैसे विश्वविद्यालयों ने जिस शिक्षा की आधारशिला रखी थी पूर्णतः बदल चुकी है …… 1950 की प्रथम गणतंत्र देश की घोषणा से लेकर विश्वव्यापी महामारी कोविड के बाद गणतंत्र के मायने कुछ बदल गए हैं …..इस बार देश के नौनिहालों का भविष्य शिक्षकों के हाथ में सुरक्षित था. न सिर्फ डॉक्टर, बल्कि शिक्षक भी फ्रंट लाइन वॉरियर्स थे। यदि देश की सीमा पर हमारे सैनिक सुरक्षा कर रहे थे तब यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी की हमारे भारत के गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हमारे शिक्षकों के हाथ में थी. . जब आईआईटी मेडिकल कॉलेज बीएड कॉलेज लॉकडाउन में बंद थे .स्कूल के बच्चों के लिए कक्षाएं नहीं हो रही थी , तब भी हमारे शिक्षक पूरी निष्ठा से अपना कर्म निभाते हुए देश के नौनिहालों के भविष्य की चिंता करते रहें . . इस वर्ष का गणतंत्र देश के इतिहास मैं याद किया जाएगा राजघाट से राजसत्ता तक वही घिसी पिटी बात हम शिक्षाविद नहीं कर सकते ।
ऑनलाइन झंडोत्तोलन और ऑनलाइन देश भक्ति सिखाता यह गणतंत्र सचमुच बहुत ही विशेष है। शिक्षा जगत अब तक पूरी तरह से इस महामारी के दंश से उबर नहीं पाया है। एक तरफ कर्मठ शिक्षकों ने ऑनलाइन शिक्षा जारी रखते हुए छात्रों का दिल जीत लिया वहीं दूसरी तरफ देश के भविष्य को सुरक्षित रखने की कोशिश की थी। लॉकडाउन के दौरान राष्ट्रीय शिक्षा नीति भी तैयार होकर आ गई जिसका स्वागत शिक्षा जगत में किया गया । उम्मीद की नई किरण जगाती है यह शिक्षा नीति , इसके क्रियान्वयन की आतुरता से प्रतीक्षा है। शिक्षक शिक्षा नीति में बदलाव को लेकर उत्साहित है लेकिन जिस देश के गणतंत्र मे चाणक्य , कौटिल्य ,अरबिंदो घोष ,स्वामी विवेकानंद,. रामानुजम जैसे शिक्षा शास्त्रियों का योगदान रहा हो उस देश के नेताओं ने शिक्षा को सबसे निचली पायदान पर रख दिया है। एक वर्ष हमारी शिक्षा पद्धति पीछे चली गई, परीक्षाएं स्थगित हो गई नामांकन नहीं हो रहे, .. बच्चे स्कूल नहीं जा रहे… कक्षाएं नहीं हो रही तब उस देश की चिंता होना स्वाभाविक है । शिक्षा ही एकमात्र ऐसा अस्त्र है जिससे आतंकवाद, नक्सलवाद, भ्रष्टाचार तथा कुरीतियों से लड़ा जा सकता है ..शिक्षा वह आधारशिला है जिस पर देश का गणतंत्र खड़ा है। यह वह मजबूत नींव है जिस पर भारत के नेताओं को ध्यान देने की आवश्यकता है। केवल शिक्षा नीति बनाना ही काफी नहीं है , क्योंकि एक से एक अच्छी नीति यदि सही हाथों में क्रियान्वित ना हो तो असफल हो जाती है. . अच्छे शिक्षक का चयन आज की मांग है , गुणवत्तापूर्ण शिक्षा ही अच्छे शिक्षकों को तैयार करती है ताकि वे देश को मजबूत आधार संरचना प्रदान कर सकें….
डॉ जूही समर्पिता,
प्राचार्य
डी बी एम एस कॉलेज
जमशेदपुर,झारखंड