मंत्र
“मंत्र” कहानी डॉ चड्ढा की है जो अपने नियम पर चलते हैं और अपने समय पर मरीज देखते हैं। इसके अलावा वह अपने आनंद के लिए गोल्फ आदि में समय व्यतीत करते हैं।एक दिन एक आदमी आता है जो अपनी बीमार लड़के को देखने की अपील करता है।डॉक्टर चड्ढा के गोल्फ खेलने का समय हो चुका था इसलिए उन्होंने उसे सुबह आने को कहा और उसके बेटे को देखने से इंकार कर दिया। वह आदमी बहुत परेशान था क्योंकि इसके बीमार बेटे को डॉक्टर चड्ढा ने सुबह बुलाया और वह उसका इकलौता बेटा था बहुत परेशान हुआ वापस लौट गया क्योंकि हाथ पैर जोड़ने के बाद भी डॉक्टर चड्ढा ने सुबह ही आने को कहा और गोल्फ खेलने निकल पड़े। इसके बाद उस आदमी के बच्चे की मौत हो जाती है। डॉक्टर चड्ढा का अपना फर्ज भूलकर गोल्फ खेलने चले जाना इंसानियत को शर्मसार करती यह घटना रही और कहीं ना कहीं किसी के सच्चाई को दर्शाती भी है। बेटे की मृत्यु के बाद वह आदमी बहुत दुखी रहता था इकलौते बेटे के खो जाने का गम उसे सालता रहता लेकिन कहते हैं ना समय का फेर घूमता है और वापस वही लेकर आता है। इसी तरह समय भी करवट बदलता है बहुत सालों बाद डॉक्टर चड्ढा से सामना होता है। डॉक्टर चड्ढा एक बेटा और एक बेटी थे जो कॉलेज में पढ़ते थे। 1 दिन डॉक्टर चड्ढा के बेटे को सांप ने काट लिया जो सांप पालने का शौकीन था और मना करने के बाद भी सांपों से खेलता था। डॉक्टर चड्ढा के रोकने के बाद भी उसने सांपों को पाल रखा था एक दिन उसी सांप ने उनके बेटे को काट लिया सारा इलाज करने के बाद भी वो ठीक नहीं हुआ तो किसी ने झाड़ने फूकने वाले को बुलाया सभी आकर चले गए लेकिन उनका बेटा ठीक नहीं हुआ तब किसी ने उसे उसी आदमी के बारे में बताया जो कभी डॉक्टर चड्ढा के पास अपने इकलौते बेटे को लेकर आया था और वह झाड़ फूंक करता था। वह डॉक्टर चड्ढा आदमी को बुलाने कहता है लेकिन जैसे ही उस आदमी को यह पता चलता है कि डॉक्टर चड्ढा के बेटे को सांप ने काटा है उसने जाने से इनकार कर दिया लेकिन इंसानियत जाग जाती है और उस आदमी के मन में उथल-पुथल उठकर डॉक्टर चड्ढा के घर की ओर चल पड़ता है। आंधी, तूफान, ठंडी में भी वह डॉक्टर चड्ढा के घर चल पड़ता है और उसके बेटे की जान बचाता है और चुपचाप वहां से निकल जाता है। इंसानियत की जीत होती है इंसानियत को दर्शाती यह प्रेमचंद की कहानी बहुत ही पसंदीदा कहानी है।
निक्की शर्मा रश्मि
मुम्बई