कलम के सिपाही
हिंदी साहित्य के सम्राट, प्रगतिशील विचारों के पुरोधा,युगद्रष्टा और कलम के सच्चे सिपाही मुंशी प्रेमचंद जी को शत शत नमन।बेहद ही साधारण देखने वाले प्रेमचंद का व्यक्तित्व अत्यन्त अद्वितीय था।गृहस्वामिनी उनके 139वीं जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित करती है ।
साहित्य-गगन का चाँद
साहित्य-गगन का चाँद
विहंसता है अम्बर में,
और धरा नतमस्तक है ।
कितने तारे बौराए, आये-गये
घूमते रहे तुम्हारे इर्द-गिर्द,
पर , पा न सके तुमको ।
कितने बादल उमड़े -घुमड़े
मडरा-घहरा कर बरस गए,
तरसा न सके तुमको ।
तुमने जो दिये प्राण, मान-सम्मान
कथा को और कथाकारों को,
वह आज अमर है ।
हे प्रेमचंद! तेरे आगे
कवि-सिर नतमस्तक है ।
साहित्य-गगन का चांँद
विहंसता है अम्बर में
और धरा नतमस्तक है ।
दिनेश्वर प्रसाद सिंह ‘ दिनेश ‘
वरिष्ठ साहित्यकार और संपादक
प्रेमचंद
ज्ञातव्य हो !
बस तुम तक ही
दुनिया आम थी!
अब
हर पायदान पर
खास होने के दावे हैं
ठुके हुये
प्रमाणपत्र दिखाये जाते हैं
गवाही भी दी जाती है
खास होना अब सर्वभौमिकता है
बस..
बेशक
पढ़े
कहे
गुने जाते
अब भी
तुम
पर जानो यह
आम पर अब कोई नहीं !
रानी सुमिता
लेखिका
प्रेमचंद एक महान साहित्यकार थे। वह मेरे आदर्श हैं। मैं बचपन से ही उनका साहित्य पढ़कर बड़ी हुई हूँ और आज मैं जो भी हूँ, उसमें बहुत बड़ा हाथ उनके साहित्य का भी है। उनके साहित्य के द्वारा ही मैंने सच्चाई का मोल जाना। गरीबों की दशा का जो वर्णन उनकी कहानियों और उपन्यासों में मिलता हैं वो और कहीं नहीं मिलता ।जब उनकी कहानियाँ हम पढ़ते हैं ,तो जैसे लगता है उस पात्र को हम खुद जी रहे होते हैं ।जैसे कि बूढ़ी काकी की काकी। ईदगाह कहानी का हामिद या और भी कहानियों में उनके पात्र का चरित्र चित्रण इतना अच्छा होता था कि वह पात्र हमें बिल्कुल यथार्थ प्रतीत होता है ।मैंने उनकी कहानियों से बहुत सारे संस्कार सीखे। मेरे पास उनकी कहानियों का संग्रह मानसरोवर है जो कि मेरी नजर में दुनिया का श्रेष्ठ संग्रह है । एक उनके पात्र हैं मोटे राम शास्त्री जी , मैं जब भी उदास होती हूंँ, एक बार उसे पढ़ लेती हूँ ,मन खुश हो जाता है। उनके पात्र बिल्कुल अपने आसपास के पात्र जैसे लगते हैं ,जैसे यह कहानियाँ हमारे अंदर से ही आई है। उनके उपन्यास के चरित्र आदर्शवादी देशभक्त तो है ही साथ ही वे लोगों को जीवन मूल्यों की भी शिक्षा देते हैं ।अतः मैं प्रेमचंद जी को अपना आदर्श मानती हूँ और उनकी बहुत इज्जत करती हूंँ। मैं आशा करती हूँ कि हमारी नई पीढ़ी भी उन्हें पढ़े और समझे ।
सीमा बाजपेई
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर लायंस क्लब
संस्थापक कान्यकुब्ज अनुभूति
प्रेमचंद के उपन्यासों में , कहानियों में ग्रामीण परिवेश ,जीवन का चित्रण मिलता है। जहाँ उन्होंने गोदान में एक किसान और मजदूर का मार्मिक चित्रण किया है, वहीं नमक का दारोगा में एक ईमानदार दारोगा का। ईमानदारी के कारण कैसे उसकी नौकरी चली जाती है, उसका बेहद मार्मिक चित्रण है।लूट भ्रष्टाचार के जमाने में ईमानदार दारोगा का नौकरी बचाना मुश्किल हो जाता है । अंततः नौकरी चली ही जाती है।गोदान में बहुत मेहनत मस्कत करने के बाद भी होरी अपनी जमीन नहीं बचा पाता है। एक किसान का खेत उसके हाथ से निकल जाए, इससे ज्यादा और क्या दुख की बात हो सकती । प्रेमचंद होरी से लेकर रायसाहब का वर्णन बहुत ही खूबसूरती से किएं हैं। जमींदार ग़रीबों के पैसे से अय्यासी करते हैं । गरीब पीसते रहते हैं। है ।प्रेमचंद ग्रामीण परिवेश के सुख दुःख को अपने उपन्यास का विषय बनाया। प्रेमचंद हिन्दी साहित्य के सम्राट कहे जाते हैं।हमे उनकी रचनाओं को पढ़नी चाहिए।
माधुरी मिश्र
साहित्यकार
हिंदी साहित्य के सम्राट मुंशी प्रेमचंद जी को मेरी भावभीनी श्रद्धांजलि ।उनकी रचनाओं और विचारों से आज के समाज को भी आवाज उठाने की जरूरत हैं ।जहाँ एक ओर उनकी रचनाओं में “गोदान “मे किसान की दुर्दशा का मार्मिक चित्रण है तो दूसरी ओर “कर्मभूमि” और “रंगभूमि” में दलितों और स्त्रियों में हो रहे प्रतिरोधक विकास को दर्शाती हैं ।लमही वाराणसी के इस सपूत ने 100 साल पहले ही लीविंग रिलेशनशिप पर लिखने वाले युगद्रष्टा ,ग्रामीण भारत के यथार्थ के चितेरे को हमारा शत शत नमन।
वीणा झा
लेखिका और समाजसेविका
कलम के सिपाही माने जाने वाले मुंशी प्रेमचंद की भाषा सरल, सजीव एवं व्यवहारिक है। उनकी रचनाओं को सधारण पढ़े लिखे लोग भी समझ लेते हैं। उनकी हर रचना जन मानस के मन पर असर करती है। उन्होंने अपने रचनाओं के माध्यम से सबसे कमजोर वर्ग के लोगों के अवाज को बुलंद किया है। समाज के बुराईयों पर मार्मिक और गहरे ढंग से प्रहार किया है।
वे सदैव सत्य एवं न्याय के पक्षधर रहे। आज उनके जयंती पर सभी कलमकार बंधुओं को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
वीणा पाण्डेय “भारती “
साहित्यकार
हिंदी साहित्य के सम्राट कहे जाने वाले मुंशी प्रेमचंद जी का आज १३९ वी जयंती पर शत शत नमन !
उनकी भाषा सरल एवं सहज है ।उनकी रचनाओं से समाज का दर्शन होता है ।वे कृषक तथा मजदूर वर्ग के समस्यायों को अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज में उजागर किया है ।उनकी उपन्यासों में आदर्शवाद व यथार्थवाद का दर्शन होता है ।
निर्मला राव
गृहिणी एवं लेखिका
महान कहानीकार एवं उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद हिंदी साहित्य क्षितीज के स्तंभ माने जाते हैं । उनकी कहानियों में ग्रामिण परिवेश का यथार्थपरक ,सजीव चित्रण हमें देखने को मिलता है । मुंशी प्रेमचंद की लेखन शैली हिन्दी साहित्य की अनमोल विरासत है ।उनकी लेखन विद्या ने सम्पुर्ण हिंदी साहित्य का मार्गदर्शन कर जनमानस में सतत् उर्जा का संचार किया ।
आज हम उस महान साहित्यिक पुरोधा को कोटि- कोटि नमन करते हैं ।
माधवी उपाध्याय
साहित्यकार
साहित्य में प्रेमचंद का कद काफी ऊंचा है और उनकी लेखनी एक ऐसी विरासत है, जिसके बिना हिंदी के विकास को अधूरा ही माना जाएगा। मुंशी प्रेमचंद एक संवेदनशील लेखक, सचेत नागरिक, कुशल वक्ता और बहुत ही सुलझे हुए संपादक थे। प्रेमचंद ने हिंदी कहानी और उपन्यास की एक ऐसी परंपरा का विकास किया, जिसने एक पूरी सदी के साहित्य का मार्गदर्शन किया। उनकी लेखनी इतनी समृद्ध थी कि इससे कई पीढ़ियाँ प्रभावित हुईं और उन्होंने साहित्य की यथार्थवादी परंपरा की भी नींव रखी।
खुशबू सिंह
फैशन डिजाइनर
हिंदी साहित्य सम्राट मुंशी प्रेमचंद को शत शत नमन। आपने आपकी हर लेखन से समाज को सच्चाई का आईना दिखाया हैं।लेकिन हमने आपकी लेखनी और आदर्शों को जलाकर राख कर दिएं क्योंकि हमें रिश्वत चाहिए ,पैसा भी चाहिए । हमें कहाँ फुर्सत है कि आईना का धूल साफ करें । आपकी कलम से निकली वो सच्चाई (कफ़न) (मोटेराम का सत्ताग्रह) और भी कई उदाहरण हैं । जो हमें सही रास्ता दिखाता है । मैं रंगकर्मी बबली दत्ता आपको शत शत नमन करती हूँ।
बबली दत्ता
थियेटर आर्टिस्ट
कथासम्राट प्रेमचंद, ग्रामीण भारत एवं किसान
भारत एक कृषि-प्रधान देश है,किसान के बिना भारतीय संस्कृति का कोई भी विश्लेषण अधूरा है। कथासम्राट प्रेमचंद ने किसान को साहित्य का विषय बनाया। उन्होंने अपने कहानियों एवम उपन्यासों में किसान-जीवन के विभिन्न पक्षों का मुख्य रूप से चित्रण किया है।
प्रेमचंद के पहले तथा उनके बाद किसी भी रचनाकार ने शायद ही इतने विस्तार से किसान को आधार बनाकर साहित्य-सृजन किया है। भारत और ग्रामीण भारत में रुचि लेनेवाले प्रत्येक व्यक्ति को प्रेमचंद को जरूर पढ़ना चाहिए, उनके उठाये विषयों के प्रति अपना योगदान देना चाहिए। कथासम्राट प्रेमचंद को यही हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
हमारे अन्नदाता किसानों के प्रति हमारी जानकारी, हमारा सकारात्मक नज़रिया, हमारा यथा: सम्भव योगदान शायद उन्हें महाजनी प्रथा, शोषण, गरीबी व आत्महत्या जैसे दैत्याकार समस्याओं के चंगुल से छुड़ा पाए!!!
तरुण कुमार
साहित्यकार और समाजसेवक