प्रकृति हमारी अस्तित्व

प्रकृति हमारी अस्तित्व

प्रकृति को प्यार दें
स्नेह और दुलार दें,
पूजा करें इसकी और
तन मन भी वार दें!
जिसने केवल आजतक
देना ही जाना है,
हम सभी मानव को
संतान सी माना है!!
फिर क्यूं हम भी पीछे हों
अपने उदगार में,
प्रकृति सी सुंदरता
नहीं कहीं संसार में!
उसके ही आंचल में
पलता संसार है
उसके बिन जीवन में
प्रलय है, हाहाकार है!!
रूठी जो प्रकृति तो
ठौर ना कहीं पाओगे
अस्तित्व है ये हम सबकी,
इसके बिन ऐ मानव
कहां सुकून पाओगे!!

अर्चना रॉय
प्राचार्या एवं साहित्यकार
रामगढ़ , झारखंड

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