शिक्षा और नयी नीति

शिक्षा और नयी नीति शिक्षा वह आधार है,जो किसी भी व्यक्ति या देश को आत्मनिर्भर बनाती है, जीवन में बेहतर संभावनाओं को प्राप्त करने के विभिन्न अवसरों के रास्तों का निर्माण करती है और उज्जवल भविष्य के विकास और उत्तरोत्तर वृद्धि के लिए दरवाजे खोलती है। वैसे तो शिक्षा के उपयोग कई हैं, परंतु, बदलते…

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शिखर से पहले

शिखर से पहले दरवाजा खोलते ही सामने अंजान शख्स को देख विभा हैरान हो गई। हाथ में कुछ सामान लिए उस पच्चीस-छब्बीस वर्षीय युवक के चेहरे में न जाने कैसा अपनत्व था कि बिना संकोच के उसे अंदर आने दिया। “नमस्ते मैम! पहचाना नहीं मुझे?” सोफे पर बैठते हुए उस शख्स ने कहा। “कौन, भुवन…

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गुरू की महिमा

गुरू की महिमा गुरू हैं ज्ञान के सागर गुरू हैं ध्यान के गागर गुरू में लीन हों मन से तो निखरे सद्बुद्धि का आखर गुरू हैं सरस्वती उपासक गुरू हैं देश के सुधारक गुरू से दीक्षा लें सच्ची तो बनते तम के ये उद्धारक गुरू हैं युग के प्रणेता गुरू हैं कर्म के अभिनेता गुरू…

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मेरे प्रथम गुरु

मेरे प्रथम गुरु हर छोटी बड़ी बात वो समझाते हैं प्यार से, कभी किसी गलती पर आंखे दिखाते , कभी हाथ फेरते सर पर मेरे दुलार से, मनुहार से!! जीवन की हर पेचीदगी उनके मार्गदर्शन से ही हल हुए उनकी सही दिशा -दर्शन से निर्बल हौसले मेरे सबल हुए!! तुम केवल कर्ता हो अपने सुकर्म…

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नई शिक्षा नीति :एक चिरप्रतीक्षित अनिवार्य कदम

नई शिक्षा नीति :एक चिरप्रतीक्षित अनिवार्य कदम भारत ऋषियों – मुनियों, योग,ध्यान और प्राणायाम की धरती रही है। सदियों पहले से यहां पृथ्वी के अध्ययन वाले विषय को ‘भूगोल’ और जिसकी गति हो उसे, ज+गत=’जगत’ कहा गया। अपनी इसी सभ्यता और समृद्धि के कारण, भारत हमेशा से ही विदेशी आक्रमणों का शिकार और दुश्मनों के…

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अंतस् का संवाद …

अंतस् का संवाद … तेरा तेरे अंतस् से होता हुआ संवाद हूँ ! या कह लो मैं शिक्षक हूँ , या कहो उस्ताद हूँ ! अंभ अगोचर पथ कंटकमय , हिय तनू आक्रांत तो सत्य सनित मैं संबल सा नित काटता अवसाद हूँ ! मैं ही गीता की थाती हूँ , धौम्य का भी रूप…

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शिक्षक

  शिक्षक जननी, प्रथम, सर्व श्रेष्ठ शिक्षक होती है अपनी, लिए गोद में पीना खाना है सिखलाती; नन्हें नन्हें पैरों से चलना है वो सिखलाती। अब बारी आती है उन शिक्षकों की, जो प्यारे प्यारे नौनिहाल को, सहनशक्ति बिन विचलित हुए क ख ग ए बी सी का पाठ पढ़ाते हैं, ख़ुद बच्चा बन बच्चों…

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शिक्षा

शिक्षा विधिवत शिक्षा दे रहे , भाव हीन, नित ज्ञान । न संस्कार पोषित रहे, नहीं लेत संज्ञान । क्या होगा इस ज्ञान का, कहते प्रमाण पत्र । कोई नौकरी न मिलें, घूमो तुम सर्वत्र ।। अब शिक्षा के नाम पर, होता है व्यवसाय । शिक्षा रही न दान अब , कैसे जग समझाय ।…

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मेरे दृष्टिकोण मेंः मेरे जीवन का एक अध्याय

मेरे दृष्टिकोण मेंः मेरे जीवन का एक अध्याय हममें से हर किसी का जीवन अनुभवों और संस्मरणों की एक किताब है,खजाना है बीते पलों का।जीवन की किताब में जिंदगानी के अलग-अलग पड़ावों से जुड़े अध्याय- कुछ पारिवारिक तो कुछ व्यवसायिक; कुछ संवेदनात्मक तो कुछ व्यवहारिकता के विषय से संबंधित।पर मैं जब अपने जीवन रूपी पुस्तक…

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