गुरु महिमा
गुरु महिमा गुरु जन के उपकार बहुत है । गिनती हम नहीं कर पाते ।। पूरा जीवन कम लगता है । उनकी महिमा गाते गाते ।। कोरे कागज जैसे मन पर । गुरु ज्ञान की बात सजाते ।। सच्चा मानव कैसे बनते । पाठ हमें यह रोज पढ़ाते ।। शिखर सफलता के पाने की। राह…
गुरु महिमा गुरु जन के उपकार बहुत है । गिनती हम नहीं कर पाते ।। पूरा जीवन कम लगता है । उनकी महिमा गाते गाते ।। कोरे कागज जैसे मन पर । गुरु ज्ञान की बात सजाते ।। सच्चा मानव कैसे बनते । पाठ हमें यह रोज पढ़ाते ।। शिखर सफलता के पाने की। राह…
दीदीःशक्ति पुँज शिक्षिका एक शिक्षक के रूप में दीदी. (डॉ वीणा श्रीवास्तव) जब मेरे जीवन में आयीं…उस वक़्त किशोरावस्था की उम्र थी मेरी, जीवन की सबसे नाजुक और महत्वपूर्ण अवस्था। इस उम्र में यदि अच्छे शिक्षक मिल जाए…सही मार्ग दर्शन मिल जाए तो जीवन संवर जाता है। कुछ ऐसा ही मेरे साथ हुआ। एक शिक्षक…
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन देश के द्वितीय राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने भारतीय शिक्षा जगत को नई दिशा दी। उनका जन्मदिन देश ‘शिक्षक दिवस’ के रूप में मनाता है। वे निष्काम कर्मयोगी, करुण हृदयी, धैर्यवान, विवेकशील और विनम्र थे। उनका आादर्श जीवन भारतीयों के लिए ही नहीं, अपितु संपूर्ण मानवता के लिए प्रेरणास्रोत है। डॉ. राधाकृष्णन…
PRISON-PRISONER AND EDUCATION Let me start with an incidence that happened eight years ago. You may consider it as a small incident, but the impact it made on me has been huge. It demonstrated the real impact of education on human life, specially the life of a petty criminal. While on drive to a relative’s…
अहिल्या का अभिशाप महाभारत का युद्ध अठारह दिनों तक ही चला था। लेकिन अशिक्षा की लड़ाई अभी लंबी चलेगी। पहाड़ों की हरी गोद में बसा हुआ ये आदिवासी गाँव अपने सबसे पास के शहरी कस्बे से 40 किमी दूर था। दो बसें आती हैं यहाँ। चार बजे के बाद कोई पब्लिक साधन नहीं है कहीं…
मानव को आलोकित करता शिक्षक पं.श्रीकृष्ण चन्द्र झा का जन्म जमींदार परिवार में हुआ था।१० वर्ष के ही थे तो उनके पिता का देहान्त हो गया ।अल्प आयु के कारण सारे रिश्तेदारों ने सम्पत्ति हड़प लिये थे, जमींदारी भी छीन ली थी सरकार ने। भाइयों की देखभाल भी उन्हें ही करनी पड़ी थी। भाइयों को…
जीना सिखाया ज्ञान का दीपक कर उजागर शिक्षक आपने जीना सिखाया कभी डांट कर कभी प्यार से जीवनबोध का पाठ पढ़ाया। याद आती है कक्षा मे जब उत्सुक नजरों से घूरते थे सब अनायास व्याख्यान कौशल से तात्विक बातें हमें समझाया। कठिन पाठ को सरल बनाकर रोचक ढंग से प्रस्तुत करते सोचते थे हम, कैसे…
एक शिक्षिका ऐसी भी बात उन दिनों की है जब मेरी नियुक्ति मुम्बई के एक प्रसिद्ध कनिष्ठ महाविद्यालय में हुई थी।परिवार,दोस्त,रिश्तेदार सभी प्रसन्न थे कि सरकारी नौकरी मिल गयी,अब जिंदगी आराम से गुजरेगी।काम हो ना हो,तनख्वाह तो शुरू ही रहेगी।आज भी सरकारी नौकरी के प्रति लोगों की मानसिकता में अधिक अन्तर या बदलाव नहीं आया…