हिंदी अपने राजभाषा के गौरव से बहुत दूर

हिंदी अपने राजभाषा के गौरव से बहुत दूर वैचारिक संप्रेषण के लिए भाषा को आवश्यकता होती है। धरती पर जब से मनुष्य का अस्तित्व है तभी से वह भाषा का प्रयोग कर रहा है। ध्वनि एवं संकेत दोनों रूपों में वैचारिक आदान-प्रदान होता रहा है। भारत भाषा और बोलियों की दृष्टि से समृद्ध देश है।…

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डॉ रांगेय राघव

डॉ रांगेय राघव बहुमुखी प्रतिभा सम्पन्न डॉ रांगेय राघव का जन्म,आगरा में ,१७ जनवरी,१९२३ को हुआ।शिक्षा-दीक्षा भी वहीं हुई।पिता संस्कृत,तमिल,फ़ारसी और अंग्रेज़ी के विद्वान थे।मॉं कनकवल्ली बडी सरल, उदार व दयालु महिला थीं।वे हिंदी जानती थीं,तमिल,ब्रजभाषा बहुत सुंदर बोलती थीं। इनके पूर्वजों को धर्म व भारतीय संस्कृति में गहरी आस्था थी।वे बाइबिल और क़ुरान भी…

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एंजेला मिस

एंजेला मिस बात बहुत पुरानी है किन्तु बाल्यावस्था का वह अनुभव आज भी मेरे स्मृतिपटल पर अंकित है। मैं कक्षा पाँच में पढ़ती थी और अपने पठन-पाठन से संबंधित वस्तुओं के बारे में काफी सचेत रहती थी। विशेषकर गणित की पुस्तक के बारे में क्योंकि यह विषय सदा मेरे लिये टेढ़ी खीर ही बना रहता…

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राष्ट्रीय शिक्षा नीति

राष्ट्रीय शिक्षा नीति आज भारत बहुत ही मजबूत ज़मीन पर खड़ा है क्यों कि अगले दशक में भारत विश्व के गिने चुने राष्ट्रों में शामिल हो जायेगा जिसकी जनसंख्या में युवाओं का प्रतिशत अधिक होगा। ऐसे राष्ट्र के विकास के लिए एक सुदृढ़ शिक्षा नीति का होना आवश्यक है।अभी से ही अगले दशक की योजना…

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भूदान आंदोलन के प्रणेता – आचार्य विनोबा भावे

भूदान आंदोलन के प्रणेता – आचार्य विनोबा भावे भारत में भूदान तथा सर्वोदय आन्दोलनों के लिए सुपरिचित सन्त विनोबा भावे भगवद गीता से प्रेरित जनसरोकार वाले नेता थें। वे महात्मा गाँधी से बहुत प्रभावित थे तथा गाँधीजी के साथ उन्होंने देश के स्वाधीनता संग्राम में बढ़ चढ़कर भाग लिया था। सन्त स्वभाव के बावजूद उनमें…

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महादेवी वर्मा – हिंदी के विशाल मंदिर की सरस्वती !!

महादेवी वर्मा – हिंदी के विशाल मंदिर की सरस्वती !! नष्ट कब अणु का हुआ प्रयास विफलता में है पूर्ति-विकास। (-रश्मि) सन 26 मार्च 1907 में फर्रुखाबाद में, पिता बाबू गोविन्दप्रसाद और माता हेमरानी देवी के घर में छायावाद के उस चौथे स्तंभ का जन्म हुआ जिसे महादेवी वर्मा के नाम से जाना जाता है।…

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गुरु बिना ज्ञान नहीं

गुरु बिना ज्ञान नहीं शिक्षक दिवस के अवसर पर अपने बचपन की याद आना स्वाभाविक है। कुछ ऐसे गुरुओं से हम मिलते हैं जो जीवन में एक याद छोड़ जाते हैं।ऐसे ही मेरे हिंदी के एक टीचर जी थे उन्हीं से संबंधित एक घटना अपने स्कूल के दिनों की याद ताजा कर जाती है।अनुशासन का…

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नन्हा शिक्षक

नन्हा शिक्षक लिजिए आंटी जी मुँह मीठा किजिए राज्यस्तरीय हॉकी टीम में सिलेक्ट हो गया आपका छोटू चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान और हाथ में पेड़ा का डिब्बा लिए तेज खड़ा था। गले लगाकर शाबासी देना चाहती थी, माथा चूमने का भी मन हुआ था पर पता नहीं कौन सी अदृश्य शक्ति मुझे ऐसा करने…

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संकल्प

संकल्प दीपू ज्यादातर विद्यालय में देरी से ही पहुँचता थ। देर से आने वाले बच्चों की अलग लाइन बनवाई जाती है तथा उनका नाम भी उनकी कक्षा के अनुसार लिखा जाता है ताकि उनके कक्षाध्यापक उन्हें जान सकें और समझा सकें ।उस रजिस्टर में नवीं कक्षा में पढ़ने वाले दीपू का नाम एकाध दिन छोड़कर…

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