हिंदी अपने राजभाषा के गौरव से बहुत दूर
हिंदी अपने राजभाषा के गौरव से बहुत दूर वैचारिक संप्रेषण के लिए भाषा को आवश्यकता होती है। धरती पर जब से मनुष्य का अस्तित्व है तभी से वह भाषा का प्रयोग कर रहा है। ध्वनि एवं संकेत दोनों रूपों में वैचारिक आदान-प्रदान होता रहा है। भारत भाषा और बोलियों की दृष्टि से समृद्ध देश है।…