महादेवी वर्मा – हिंदी के विशाल मंदिर की सरस्वती !!

महादेवी वर्मा – हिंदी के विशाल मंदिर की सरस्वती !! नष्ट कब अणु का हुआ प्रयास विफलता में है पूर्ति-विकास। (-रश्मि) सन 26 मार्च 1907 में फर्रुखाबाद में, पिता बाबू गोविन्दप्रसाद और माता हेमरानी देवी के घर में छायावाद के उस चौथे स्तंभ का जन्म हुआ जिसे महादेवी वर्मा के नाम से जाना जाता है।…

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गुरु बिना ज्ञान नहीं

गुरु बिना ज्ञान नहीं शिक्षक दिवस के अवसर पर अपने बचपन की याद आना स्वाभाविक है। कुछ ऐसे गुरुओं से हम मिलते हैं जो जीवन में एक याद छोड़ जाते हैं।ऐसे ही मेरे हिंदी के एक टीचर जी थे उन्हीं से संबंधित एक घटना अपने स्कूल के दिनों की याद ताजा कर जाती है।अनुशासन का…

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नन्हा शिक्षक

नन्हा शिक्षक लिजिए आंटी जी मुँह मीठा किजिए राज्यस्तरीय हॉकी टीम में सिलेक्ट हो गया आपका छोटू चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान और हाथ में पेड़ा का डिब्बा लिए तेज खड़ा था। गले लगाकर शाबासी देना चाहती थी, माथा चूमने का भी मन हुआ था पर पता नहीं कौन सी अदृश्य शक्ति मुझे ऐसा करने…

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संकल्प

संकल्प दीपू ज्यादातर विद्यालय में देरी से ही पहुँचता थ। देर से आने वाले बच्चों की अलग लाइन बनवाई जाती है तथा उनका नाम भी उनकी कक्षा के अनुसार लिखा जाता है ताकि उनके कक्षाध्यापक उन्हें जान सकें और समझा सकें ।उस रजिस्टर में नवीं कक्षा में पढ़ने वाले दीपू का नाम एकाध दिन छोड़कर…

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मास्टर साहब कहिन

मास्टर साहब कहिन किस्सा एक सरकारी प्राथमिक विद्यालय के मास्टर साहब की है।आज मास्टर साहब के घर पर अफरा-तफ़री का माहौल है।श्रीमती जी कपड़े प्रेस कर रही, सुपुत्र जूता पॉलिश कर रहा , स्वयं मास्टर साहब दाढ़ी बनाने में व्यस्त।कुल मिलाकर घर का माहौल बड़ा गर्म था।कोई और दिन होता तो बिना प्रेस कपड़ा, बिना…

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गुरु वंदना

गुरु वंदना गुरुजनों के ज्ञान को , तू देना सदा सम्मान । दुख संताप वे हर लेगें , ऐसे वे इंसान ।। लोभ दौलत का तुझको है तो,विद्या धन एकत्र कर। चोर न चोरी कर सके , तू चाहे सर्वत्र भर।। विद्या और कल्याण की दौलत, लूट सके तो लूट। कोई न जाने किस पल…

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जीना सिखाती ज़िन्दगी

जीना सिखाती ज़िन्दगी आज पहली बार अज़ीब सी मनःस्थिति है। लोग न जाने कैसे बड़ी बड़ी बातें कर लेते हैं किसी के बारे में भी मेरे साथ कभी भी कोई बुरा व्यवहार करता है तो मुझे बुरा लगता है। कोशिश रहती है कि मेरी तऱफ से कभी कोई आहत न हो।पर जब अति हो जाती…

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शिक्षक दिवस

शिक्षक दिवस एक सतत प्रक्रिया है विद्यार्थी और शिक्षक होना। एक श्रेष्ठ शिक्षक कल एक जिज्ञासु विद्यार्थी था।जिज्ञासा सीखने की अदम्य इच्छा है और जन्म से ही इस प्रवृत्ति के साथ हम धरती पर आते हैं। शिशु के सीखने की सतत क्रिया उसकी जिज्ञासा का ही प्रतिफल है।इसमें दो मत नहीं कि परिवार ही होता…

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कविता का साधक हो जाना

कविता का साधक हो जाना “जीवन का सुख-दुःख, यश-अपयश, सहज धीर होकर अपनाना, सबसे दुष्कर है जीवन में, कविता का साधक हो जाना..!! कौन भला झेले जीवन में, चिंताओं की अनहद ढ़ेरी, कौन भला चाहे आँखों में, सपनों के शव, पीर घनेरी, लेन देन के वणिक जगत में, कौन भला स्वीकार करेगा, जनमानस की तनिक…

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