मातृरुपेण हिंदी
मातृरुपेण हिंदी हे मातृरुपेण हिंदी!! हमारी मातृभाषा, हम सब की ज्ञान की दाता हो, जब से हमने होश संभाला, तूने ही ज्ञान के सागर से, संस्कारों का दीप जलाया, हर गुरुजनों की शान हो तुम, उनकी कर्मभूमि हो तुम, जिसने ज्ञान-विज्ञान,वेद-ऋचाओं, और! कर्त्तव्यों का एहसास कराया, सभ्यता-संस्कृति को जीवित रखा, देश विदेश को जोड़े रखा,…
हमारी हिन्दी
हमारी हिन्दी हिंदी हमारी भाषा हैं। हिंद की परिभाषा हैं। हिन्दी हमारी संस्कृति हैं। संस्कार का सुविचार हैं पहले तो थी दबी-दबी सी। अब सिर ताने खड़ी हैं। सहमी सी हिंदी मेरी। आज सरपट दौड़ रही हैं। राह अपनी खुद बनाती, समृद्ध हो रही भाषा हैं। जुड़ रही है हिन्दी हमारी नई टेक्नोलॉजी से। क्षेत्रों…
हिन्दी और हम
हिन्दी और हम आज हिंदी दिवस है, इस दिन भारत की संविधान सभा ने देवनागरी लिपि में लिखी गयी हिंदी भाषा को भारतीय गणराज्य की राजभाषा घोषित किया था। हिंदी के प्रचार और प्रसार के लिए तत्कालीन भारतीय सरकार ने प्रतिवर्ष १४ सितम्बर,१९४९ को हिंदी दिवस के रूप में मनाने का अनुरोध किया था। वर्ष…
सादा जीवन उच्च विचार
सादा जीवन उच्च विचार आज १४ सितंबर २०२० ,जब सम्पूर्ण देश हिंदी दिवस के रूप में माना रहा है।सभी के जहन में यह बात उठती है कि इसके पीछे कारण क्या था।आज बताते हुए हर्ष हो रहा है कि मेरे परिवार में मेरे पिताजी की तीसरे व सबसे छोटी बहन के ससुर जी की जन्म…
हिंदी साहित्य में ग्रामीण लोकप्रिय और कालजयी कहानियां
हिंदी साहित्य में ग्रामीण लोकप्रिय और कालजयी कहानियां आज 14 सितंबर यानी हिंदी दिवस है। हिंदी दिवस मनाने का औचित्य हिंदी के उपयोग को और अधिक बढ़ावा देने से पूर्ण होता है। हिंदी साहित्य अपनी सभी विधाओं में इतना समृद्ध है कि यहां पर उन सबका एक साथ जिक्र कर पाना संभव नहीं होगा। इसलिए…
राष्ट्रभाषा हिन्दी का संघर्ष
राष्ट्रभाषा हिन्दी का संघर्ष आज हिंदी बहुत इतरा रही थी।सुबह से ही शुभकामनाओं का मानो तातां ही लगा हुआ था।व्हाट्सएप, फेसबुक, न्यूज चैनल आदि सभी जगह बस हिंदी की ही प्रशंसा।प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, बड़े-बड़े सेलिब्रिटी सभी आज हिंदी के महिमा मंडन में ही लगे थे।हिंदी ने तो आज कोरोना, रिया यहाँ तक कि कंगना को भी…
हिंदी है हम
हिंदी है हम हिंदी को प्रायः भाषा मात्र समझने की भूल न जाने हम क्यों कर लेते हैं जबकि हिंदी तो भारत की चिंतन धारा का मूल है । इस बात से सभी सहमत हैं जो लोग अपनी मातृभाषा और मातृभूमि को यथोचित सम्मान नहीं देते उन्हें जीवन में पर्याप्त परिश्रम करने के बाद भी…