देवी नहीं, नारी हूँ मैंं

देवी नहीं, नारी हूँ मैंं मुझे चाहत नहीं मैं कोई देवी बनूँ, शक्ति का पर्याय कहलाऊँ करुणा की वेदी बनूँ चाह मुझे बस इतनी कि मैं इंसान रहूँ खुलकर साँस लूँ अविरल धारा सी बहूँ, खुले आसमान में पँख फैलाकर उड़ूँ, खुश रहूँ,सपने देखूँ उसे निर्बाध पूरा करूँ अपने प्रेम को हँसता देखूँ अपनी ममता…

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चिट्ठिया हो तो

चिट्ठिया हो तो …….. सुजाता ने कमरे की इकलौती खिड़की खोली। पिछले तीन दिनों से सुजाता इसी कमरे में ही पड़ी रहती है। इस पीली तीन मंजिली इमारत में खिड़कियाँ और दरवाजे बहुत कम हैं। सुजाता जब यहाँ तीन रात पहले आई थी, तो रात आठ बजे का समय था। टेबल के पीछे एक दुरूस्त…

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जागरूकता ही बचाव है

जागरूकता ही बचाव है एम्स के प्रोफेसर डॉ. अनुराग श्रीवास्तव जी वर्षों अपना जीवन अस्पतालों की चारदीवारी , बीमारी से जूझते हुए चेहरे और शरीर, क्या बच्चें, क्या बूढ़े और क्या जवान। डॉ. अनुराग श्रीवास्तव जी हमेशा उन गरीब, असहाय, लाचार, सतर्कता एवं ज्ञान के अभाव में ब्रेस्ट कैंसर के आखिरी स्टेज़ पर असहनीय पीड़ा…

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राष्ट्रकवि डॉ रामधारी सिंह दिनकर

राष्ट्रकवि डॉ रामधारी सिंह दिनकर हिन्दी साहित्य और राष्ट्र के गौरव “राष्ट्र कवि डॉ रामधारी सिंह दिनकर जी”की जयंती के अवसर पर उन्हें ‌अपने अविस्मरणीय पल के श्रद्धासुमन अर्पित कर रही ‌हूँ। उन्हें शत-शत नमन।ऐसी‌ महान‌ व्यक्ति का एक संस्मरण मेरे विद्यार्थी जीवन ‌का है। बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी दिनकर जी का साक्षात्कार, अपनापन और…

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नमक सत्याग्रह और गांधी जी

   नमक सत्याग्रह और गांधी जी   अपने जीवन के शुरुआती कुछ साल पढ़ाई व् काम के सिलसिले में इंगलैंड व् दक्षिण अफ्रीका में बिताने के बाद जब १९१५ में गांधी जी भारत लौटे तो वे एक बदले हुए इंसान थे. वहां अंग्रेजों का दुर्व्यवहार झेलने के कारण उन्हें भारतवर्ष  की आजादी सर्वोपरि लगी. वे…

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स्वच्छता तन-मन और उपवन की

स्वच्छता तन-मन और उपवन की उठो चलो आगे बढ़ो, कि विश्व तुझको देखता । वक्त की है पुकार ये, फिर कौन तुझको रोकता? स्वच्छ बना इस धरा को, करके योगदान तुम । बन जा प्रहरी इस उपवन का, खड़े जिस दिशा में तुम। स्वच्छता से स्वस्थता आएगी, हमारे भारत देश में। बढ़ेगा हर कदम फिर,…

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जीवनादर्शों के मसीहा: लाल बहादुर शास्त्री

जीवनादर्शों के मसीहा: लाल बहादुर शास्त्री “जय जवान, जय किसान” का उद्घोष, चहुँ दिशाओं में गुंजित करने वाला। अपने छोटे -सधे डग में भी, अदम्य साहस संचित करने वाला।। जिसकी सादगी और सरलता ही, उसकी राजनीति का सिद्धांत बनी। कैसे कह दें हम कि शासन -प्रशासन, और षड्यंत्रों की हमेशा गहरी छनी।। विकट परिस्थितियों के…

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गाँधी का शिक्षा दर्शन : कितना प्रासंगिक

गाँधी का शिक्षा दर्शन : कितना प्रासंगिक महात्मा गाँधी के विराट् व्यक्तित्व का प्रभाव भारतीय मानस पर मर्यादा पुरुषोत्तम राम के आदर्श जीवन से कम नहीं है. अल्बर्ट आइंस्टीन ने सही कहा था कि आने वाली सदियां विश्वास नहीं करेंगी कि गांधी जैसा हाड़ मांस का कोई पुतला इस धरती पर चला होगा।राष्ट्र पिता मोहन…

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गांधी जी एक समाज सुधारक के रूप में

गांधी जी एक समाज सुधारक के रूप में कोई इंसान महान पैदा नहीं होता,उसके विचार उसे महान बनाते हैं!विचार और कार्य की शुद्धता और सरलता ही महान लोगों को साधारण लोगों से अलग करती है, वे वही काम करते हैं जो दूसरे करते हैं मगर उनका लक्ष्य समाज में बदलाव लाना होता है! राष्ट्रपिता महात्मा…

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