नंदा पांडेय की कविताएं 

नंदा पांडेय की कविताएं    1.तुम बन गए बुद्ध !   तुम जानते थे कि शिव ! बनना आसान नहीं है पर, तुम्हें बनना था शिव! पीना था विष !   अनन्त गुहाओं से घिरे चुप्पी के घने दौर में बात-बात पर स्याही उगलती तुम्हारी कलम जब लिखना चाहती थी मजहबी दस्तावेज ! तब तुम…

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सरला मेहता की कविताएं

  सरला मेहता की कविताएं 1.ये ध्वज कभी झुका नहीं स्वतंत्रता की चाह में शताब्दी गुजार दी इक सिपाही पांडे ने चिंगारी जो सुलगाई थी सर पे कफ़न बांधकर बादल पे होकर सवार लक्ष्मी अकेली चल पड़ी जागीरों के मोह में घर के भेदिये छुपे रहे रानी कभी थकी नहीं ये ध्वज कभी झुका नहीं…

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डॉ विनीता कुमारी की कविताएं

  डॉ विनीता कुमारी की कविताएं 1.भारत की नारी कवि नहीं, कवयित्री नहीं, भारत की नारी मैं हृदय की बात सुनाती हूं। वैदिक जीवन – दर्शन का, भारत के वीर शहीदों का, वतन के राष्ट्रगीतों का, मैं वंदनगान करती हूं। भारत की नारी मैं, हृदय की बात सुनाती हूं। गोरे घर छोड़ गए, लोगों को…

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सीमा भाटिया की कविताएं 

सीमा भाटिया की कविताएं    1.उद्घोष    धूल धूसरित यह धरा बार-बार है पुकार रही युवा शक्ति को फ़िर से नव चेतना हेतु ललकार रही   मस्तक पर तिलक मेरा करो और जोश का वरण करो रिपु को मिटाने के लिए अस्त्र शस्त्र अब धारण करो मातृ भूमि की रक्षा हेतु लश्कर अपने बल संवार…

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अरुण धर्मावत की कविताएं 

अरुण धर्मावत की कविताएं    1.शंखनाद   धूमिल धूमिल पथ रह गए लक्ष्य अलक्षित रह गए अंधियारों में जले दीप जो उजियारों को लील गए   शोषित वंचित अपमानों के प्रश्न बिलखते रह गए जो चले योद्धा अग्रपथों पर आज वही पथ भूल गए   व्यथाओं का नित प्रदर्शन शब्द निरर्थक रह गए लिख कर…

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शैल अग्रवाल की कविताएं

शैल अग्रवाल की कविताएं   1.प्रेम में अक्सर शब्द जो कभी कहे ही नहीं गए साफ-साफ सुने जाते हैं जैसे बारिश की बूंदें गिरती हैं रेगिस्तान में खो जाने को धीरे धीरे जैसे भूखे की आँख में आ जाती है चमक रोटी की आस में जैसे प्रार्थना में शब्द उच्चारते हम मंत्र की तरह पर…

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ललिता वर्मा की कविताएं

ललिता वर्मा की कविताएं 1.साथ दोगे हमेशा तुम कभी भी मुझ को बिखरने न दोगे है मुझे ये यकीं साथ दोगे हमेशा तुम कभी भी………. जब कभी राह की ठोकरों से गिरूं तो फिर से उठकर संभलने की हिम्मत भी दोगे तुम कभी भी ……. जब कभी भी अवसाद घेरेगा मुझ को गीत बनकर ह्रदय…

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मंजुला अस्थाना महंती की कविताएं

  मंजुला अस्थाना महंती की कविताएं   1.तृषित आत्मा   नैन बावरे इत उत् निहारे न जाने किस को पुकारे प्यासे नैना मरम न जाने तृष्णा क्योंकर ना पहचाने   अनजानी अव्यक्त सी मूरत कैसी होगी उसकी सूरत मन में हल चल फ़िर भी बेकल   तिष्णगी सी बढ़ती जाती हर क्षण, पल पल उत्सुकतावश…

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हिन्दी दिवस : चुनौतियां व प्रोत्साहन

हिन्दी दिवस : चुनौतियां व प्रोत्साहन आजादी के 76 वर्ष पूरे हो गए परन्तु हिन्दी राजभाषा से राष्ट्रभाषा का सफर नहीं तय कर पाई। विविध भाषाओं एवं संस्कृतियों की संगमस्थली भारत में आज की वर्तमान तिथि तक हिंदी जन – जन की भाषा है भी नहीं।कई प्रांतों में उनकी स्थानीय भाषाएं ही जन को जन…

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सच्चा साथी

सच्चा साथी रीना मण्डल के घर से जोर जोर से लड़ने झगड़ने की आवाज़ आ रही थी । रात के सन्नाटे में तो आवाज़ और भी तेज सुनाई देती है।कुछ देर के बाद आवाजें बन्द हो गयी और रीना के रोने की हल्की-हल्की सी आवाजें आने लगीं । यह उनकेे घर की लगभग हर तीसरे-चौथे…

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