Women

Woman. From the first ray of light you reflect, from the genes of another woman who generates your life. From the very first wailing you give a sign of wanting to impose yourself with all your strength and reason on the beauties and the contrarieties that are easy encounters on the path of existence. The…

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Anthea

Anthea You cut an olive branch you called it life. You knit wreaths of hope and hung them on our collapsed walls. You cried for the lost dreams and prayed so as not to be lost, to be transformed into a source of resurgence. You are tired to look at doubtful shadows on the horizon….

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अतीत के साये

अतीत के साये कहानियों के कितने पात्र सदियों से हमारे आसपास इर्दगिर्द घूमते रहते हैं और न जाने कितनी कहानियां, लघुकथाएं, कितने उपन्यास लिखे पढ़ें गए, सराहे गए। कुछ धूल धूसरित हुए पड़े रहे हैं, शेल्फों में। ऐसी ही असंख्य पुस्तकें उस लाइब्रेरी में मौजूद थीं, जिन्हें बरसों से झाड़ा तक नहीं गया था, खोलकर…

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Dumped

DUMPED Goddess Durga immersed In a nearby pond Floating with stray ribs of straw and dry leaves non-stop A baby corpse wrapped emerged in dark blue Sadly a girl infant nipped in the bud by crooks. A baby with pale pink placenta could not bloom Dumped without mercy without a crying in doom Saddened the…

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नारी बिन संसार

नारी बिन संसार गर जग में नारी ना होती, चैन से सारी दुनिया सोती, ना बाजार, न दफ़्तर होते, लोग सिर्फ़ पेड़ों पर सोते, माल ना होटल कुछ न होते, घास-पूस के जंगल होते, ट्रेन न मोटर, बोट न रिक्शा, स्वयं लोग करते निज रक्षा, ना मकान, ना फ़्लैट न खोली, करवाचौथ, न ईद, न…

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जागृति

जागृति हरसिंगार के छोटे छोटे फूल पेड़ों के नीचे गलीचा से बिछ गए हैं उनके फूलों की भीनी खुशबू से हवा मदमस्त ! और मदमस्त हवा अपने झोंके में गूंजते मंत्रोच्चारण को जैसे झूला झूला रही, दुर्गा मां का आगमन जो हो गया है, ढाक की आवाज आरती मेें बजती घंटियां, पावन कर रही हैं…

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है दुर्गा आनेवाली

है दुर्गा आनेवाली है दुर्गा आनेवाली काश फूलों से सज गई धरती सुगंध महकाए शेफाली है दुर्गा आनेवाली। न है मंडप की शोभा न है रोशनी की लड़ी न है घूमने फिरने की बारी कब थमेगी यह महामारी ? किसान का आत्महनन है जारी उसपर हल का बोझ हुआ भारी ऊपर से कर्ज की लाचारी…

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आह्वान

आह्वान नारी अबला नहीं , तुम हो सबल। शक्ति से भरपूर। सृजन करती हो, सृष्टि करती हो, रचनाकार हो इस धरती की। जीवन नहीं है एक अंतहीन अंधेरी सुरंग, उसे तुम आलोकित करो अंत:तिमिर का नाश करो। अपने अंदर का विश्वास जगाओ। रश्मि किरणों का अहसास करो, विधु की शीतलता का भी तुम विस्तार करो।…

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मिट्टी की मूरतों में देवी की खोज

‘मिट्टी की मूरतों में देवी की खोज’ इंसान की विनम्रता है कि पंचतत्त्वों से निर्मित अपने शरीर को वह मिट्टी मानता है,अपने आराध्यों की कल्पना भी वह मिट्टी से ही साकार करता है,किंतु इन मूर्तियों के लिए मिट्टी एकत्रित करना खासा मुश्किल भरा काम है। नवरात्र में जगतजननी मां दुर्गा की मूर्ति के लिए दस…

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नवरात्रि दक्षिण में – एक सामाजिक झांकी

नवरात्रि दक्षिण में – एक सामाजिक झांकी नाम ही स्पष्ट कर देता है कि यह नौ दिनों का उत्सव जो शरद और वसंत दोनों कालों में आता है संध्याकालीन पूजा का द्योतक है जैसे कृष्ण जन्माष्टमी अर्धरात्री की पूजा है। केरल में विशु नामक पर्व वर्षारंभ का शुभ समय सूर्योदय से पूर्व होता है। होलिका…

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