मैं कतरा कतरा
मैं कतरा कतरा मैं क़तरा क़तरा अन्तस् का लो तुम्हें समर्पित करती हूँ। बस याद में तेरी दीपक सी प्रिय लौ बनकर मैं जलती हूँ। मेरे जीवन के मरुथल में, तुम ही पानी की धार बने। पतझड़ के मौसम में प्रियतम, तुम साँसों का आधार बने। अब दरस की आस में अँखियों से, मैं स्वयं…