तुमको हमारी उमर लग जाए

“तुमको हमारी उमर लग जाए” दिन-भर भूखी प्यासी रह रात गए चांद को देख व्रत तोड़ने का नाम है ‘करवा चौथ’। लंबी उम्र पा सकने की धार्मिक घुट्टी पिला पति को आत्मबल प्रदान करने का नजरिया है इसके पीछे। लेकिन यह पूरी तरह सच नहीं है। महिलाएं स्वभाव से ही श्रृंगार प्रिय होती हैं। आभूषणों…

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जीवनसाथी

जीवनसाथी (करवाचौथ पर जीवनसाथी को समर्पित) रिक्त स्थान के मध्यांतर का भराव हो तुम कभी सुनी है धड़कनों के बीच की एक गहराई सुनो वह मेरी गहरी आवाज़ हो तुम..!! अक्सर दिमाग में उठते है कई सवाल और उन सवालों के जवाब कभी नही मिलते सुनो एक गुमशुदा प्रतिउत्तर हो तुम …!! शांत बहते पानी…

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लौहपुरुष

लौहपुरुष मेरा भारत बिखरने के लिए नहीं बना है – सरदार पटेल सरदार पटेल भारत के देशभक्तों में एक अमूल्य रत्न थे। वे आधुनिक भारत के शक्ति स्तम्भ थे। आत्म-त्याग, अनवरत सेवा तथा दूसरों को दिव्य-शक्ति की चेतना देने वाला उनका जीवन सदैव प्रकाश-स्तम्भ की अमर ज्योति रहेगा। वे मन, वचन तथा कर्म से एक…

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सच में ‘दुर्गा’ थी इंदिरा !!

सच में ‘दुर्गा’ थी इंदिरा !! वो पर्वत राजा की बेटी ऊंची हो गयी हिमालय से जिसने भारत ऊंचा माना सब धर्मों के देवालय से भूगोल बदलने वाली इतिहास बदलकर चली गई जिससे हर दुश्मन हार गया अपनों के हाथों वो ‘इंदिरा’ छली गई… -हरिओम पंवार इंदिरा गांधी दृष्टिसम्पन्न, ऊजार्वान,तेजस्वी, आत्मविश्वासी और प्रगतिगामी नेता थीं।…

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बहिष्कार

बहिष्कार गंगा किनारे एक बुजुर्ग महिला को देख ऐसा प्रतीत होता है जैसे कोई तपस्विनी देवलोक से तपस्या हेतु अवतरित हुई हों । शिला पर बैठे देख उनसे बात करने के लोभ को संवरण न कर सकी और उनके समीप मैं भी आँखे मूंद बैठ गयी । स्नेहिल स्पर्श महसूस कर मैं आँखे खोल अपलक…

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सौलह कलाओं वाला चन्द्रमा

सौलह कलाओं वाला चन्द्रमा शरद चांदनी बरसी अंजुरी भर कर पी लो ऊंघ रहे हैँ तारे सिहरी सरसी ओ प्रिय कुमुद ताकते अनझिप क्षणों में तुम भी जी लो @अज्ञेय अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है। शरद पूर्णिमा को कोजगरी पूर्णिमा या रास पूर्णिमा के नाम से भी…

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शरद का चांद ..डाकिया अनकही बातों का

“शरद का चांद ..डाकिया अनकही बातों का ” जाने किस बात पर घबराई सी खरगोश की तरह दुबकी फिरती वह जब-तब घर से बाहर निकल बगीचे में चली आती। गमलों की ओर मुंह किये नीची नजर में फूलों के साथ खामोशी से लगातार बात करती रहती । खिले-खिले स्थिर फूलों को देखकर वह अक्सर सोचती…

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शक्ति रुपा चिंगारियाँ स्त्री

शक्ति रुपा चिंगारियाँ स्त्री धरणी पर सजे स्नेह मृदुता त्याग भक्ति जीवन की कामना ले आयी नारी स्त्री क्या-क्या लेकर आई धरापर नारी स्त्री तुम कहते पूजते हो भगवती माँ देवी है स्त्री देती नारी स्नेह समर्पण सर्वस्व है तुम्हें उदर पाले माता औ बने प्रेयसी संगीनी स्त्री हजार बलैंया निछावर होती वो नित हर…

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मैं बोल रही हूँ

मैं बोल रही हूँ शाम के तीन बज चुके थे। सेमिनार खत्‍म होने में एक घंटा और था। स्‍मृति सामने बैठकर सुन रही थी। कमरे में अच्‍छी खासी भीड़ थी। ज्‍यादातर अभी अभी कॉलेज से निकले युवा थे। इस सेमिनार में डॉ.. त्‍यागी, मधुसूदन गुलाटी भाई अग्रवाल और न जाने कितने नामी गिरामी लोग थे।…

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नारीशक्ति बनाम नारीवाद

नारीशक्ति बनाम नारीवाद दुनिया की आधी आबादी स्त्री;सृजन की स्वामिनी, सृष्टि की सारथी ,पृथ्वी सी पोषिका, हवा सी जीवनदायिनी ,महक की भाँति मनाहाल्दिका, सुमन की तरह सौंदर्यसम, हरियाली की भाँति हर्षिका, वर्षा की तरह नवजीवनवर्धिका परंतु कालक्रम में कई बार और कितनी जगह विसंगतियों के समक्ष खड़ी। “यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता:” कई जगह…

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