चलो एक दीप जलाएँ हम
चलो एक दीप जलाएँ हम कितनी नीरसता कितनी व्यग्रता से बीते पिछले कुछ महीने धरा पर जो छायी रही अमावस की रात सारी खुशियाँ, सारी तमन्नाएं अनबुझी सी खो चुकी थी अमावस की तिमिर रात में शायद अबकी अमावस की रात, आशा भरी खुशियों की जगमग जोत लेकर आयी है चलो इस दिपावली को अपने…