My life

MY LIFE VULNERABLE CONSCIOUSNESS As the moments are gone and the time is playing blindflies with the empty moments of the eternity the consciousness is speechless looking for a truth, an answer to the endless questions… (Collection of poems , Dreams of Oasis (Amphictyon of Hellenism, Department of Literature, Thessaloniki, 2014 . The collection was…

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खुद को जानती हूँ मैं

“खुद को जानती हूँ मैं” ऐसा नहीं है कि– औरत हूँ तो बस नशा है मुझमें पत्नी हूँ,माँ हूँ,बहन हूँ– इक दुआ है मुझमें… ऐसा नहीं है कि– संगमरमर के साँचे में ढला जिस्म हूँ केवल नमी हूँ,आग हूँ,धरती,आकाश हूँ– जीने के लिए जरूरी हवा हूँ शीतल… ऐसा भी नहीं है कि– बस मुहब्बत, खुशबू,…

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The Body

The Body With eyes half-closed and a headache that won’t be purged by aspirin’s priests, which I eject from my body — My body that I don’t like so much, but I don’t mock it as it should be mocked. Or love it as it should be loved. I never sip drowsiness all at once,…

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मैं और मेरी दुनिया

मैं और मेरी दुनिया अति उल्लास से आत्मकथा लिखने बैठी थी । पहले तो लगा कि आज लॉटरी निकल गयी । स्व- कथा लिखनी है । लेखनी को गति मिल जाएगी । आज आत्म- जीवनी लिख सभी को बता दूंगी कि हमने किला फ़तेह कर ली । अपनी गाथा से चकाचौंध कर दूंगी दुनिया को…

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बचपन: उजला पक्ष

बचपन: उजला पक्ष उम्र के इस पड़ाव पर बचपन याद करना अच्छा लग रहा है। मेरा जन्म अपने बाबा के घर गोरखपुर में हुआ। हमारे बचपन में घर में खाने-पीने की सामग्री भरपूर होती थी मसलन दाल-चावल, आटा, दूध-दही मगर सजावट या प्रदर्शन के नाम पर कुछ नहीं था। हम बहुत अमीर नहीं थे पर…

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पहला झरोखा (मैं और नानी)

पहला झरोखा (मैं और नानी) मैं शायद पाँच साल की… खड़ी हूँ नानी के साथ। चेन्नई का मैलापुर इलाक़ा। स्त्री, पुरुष, युवा सभी कीमती रेशमी कपड़ों में सजे, मैं और नानी सामान्य पर पारम्परिक वस्त्रों में…नानी नौ गज की साड़ी में, मैं सूती पावाड़ा में। सामने मंच पर सुर बद्ध चार संगीतकारों के समूह में…

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पटना विमेंस कॉलेज और मेरा क्रिकेट का खेल

पटना विमेंस कॉलेज और मेरा क्रिकेट का खेल साल १९७६: मैट्रिकुलेशन के रिजल्ट आ गए थे . मार्क्स बहुत अच्छे थे और लगता था पटना साइंस कॉलेज में एडमिशन हो जायेगा . घर में इसकी चर्चा थी. घर में लोग मुझे डॉक्टर का करियर चुनने की सलाह दे रहे थे.पहले से भी मेरे अपने चाचा…

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मेरी कहानी

मेरी कहानी आत्मकथा ! कैसा विचित्र सा शब्द है ? आत्मा तो शाश्वत है, अनादि है अनंत है। स्वयं पूर्ण ब्रह्म है । उसकी क्या कथा हो सकती है? मेरी, तेरी, सारे जीव-जंतु की यहाँ तक कि पेड़ पौधों की भी आत्मा तो एक ही है । संभवतः बात हो रही है इस नीरजा नामक…

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