कोरोना के बाद की दुनिया

कोरोना के बाद की दुनिया पिछली सदी के दो विनाशक महायुद्धों ने हमारी दुनिया की राजनीति और अर्थव्यवस्था को बहुत हद तक बदला था। विश्व इतिहास में पहली बार कुछ ऐसा हुआ है जिसने राजनीति और अर्थतन्त्र के साथ लोगों का जीवन और जीने के तरीके भी बदल दिए हैं। महामारियां पहले भी आती रही…

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मानवाधिकारों का संरक्षण – बड़ी चुनौती

मानवाधिकारों का संरक्षण – बड़ी चुनौती मानव, मानवता और मानव अधिकारों का संरक्षण आधुनिक समय में ऐसे विषय हैं ,जिन परबुद्धिजीवियों , विचारकों , समाज सेवियों का एक बड़ा समूह बड़े गर्व के भाव के साथ ही अपनी गहरी चिंता व्यक्त करता हुआ दिखाई देता है । विश्व में विभिन्न अवसरों पर होने वाले शिखर…

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बबूल वन से होकर यात्रा

बबूल वन से होकर यात्रा (विद्यालय के दिनों की आत्मकथा ) मैंने नवीं कक्षा में प्रवेश लिया था। यह वर्ष 1964 रहा होगा। उसी वर्ष 26 जनवरी के दिन मेरे प्रखंड वजीरगंज में निबंध प्रतियोगिता आयोजित की गयी थी। अपने विद्यालय से भाग लेने के लिए मेरा भी चुनाव हुआ था। मेरे गाँव से वजीरगंज…

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मेरा परिचय

मेरा परिचय मेरा नाम आशा मुखारया है।मैंने राजनीति शास्त्र से एम. ए. किया है।मेरे पति डा. पी. एस. मुखारया है।वो हिस्ट्री के प्रोफ़ेसर थे।मेरा बेटा विवेक कम्प्यूटर इंजीनियर है,यहाँ अमेरिका में सिटी बैंक में काम करता है और मेरी बहू निधि भी कम्प्यूटर इंजीनियर है।वो भी जॉब करती है।दो पोते हैं,बड़ा पोता इंजीनियर होकर अटलांटा…

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बचपन के चंद लम्हे

बचपन के चंद लम्हे पचास वर्ष से अधिक की जिंदगी को मात्र एक पन्ने में पिरोना नामुमकिन सा लग रहा है, क्या लिखे क्या छोड़े। बहुत सुखद यादों में से २ बाते मां को समर्पित है। जिनको कभी व्यक्त नहीं कर पाई। मेरा जीवन उनके योगदान से पूर्ण है ____ भरा पूरा आंगन ,दादी-बाबा ,चाचा-बुआ…

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My Life

My Life My name is Peppe Altimare .I was born in Naples, Italy, to parents of humble origins. Since I was a child, I have always played with feelings, always carrying them in my heart and molding them according to circumstances. My cultural education has been seen since I was a child, when what happened…

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ये तब नहीं समझा

ये तब नहीं समझा मेरी दादी, जिन्हें हम ईया बुलाते थे पाँच फीट से भी कम उनकी हाईट थी पर किसी धोखे में न रहना इच्छाशक्ति में वह बिल्कुल डायनामाइट थीं लंबे वक्त से वैधव्य झेलते हुए उस छोटी, बेहद दुबली सी काया में कमाल की सेन्स ऑफ फाईट थी बेटियों की शादी, इकलौते पुत्र…

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हस्त-रेखा को चुनौती 

हस्त-रेखा को चुनौती  आज से साठ-सत्तर साल पहले एक मध्यम वर्ग परिवार में एक बेटी होने के बाद, मात्र ग्यारह महीने के अंतराल में दूसरी बेटी के रूप में जन्म लेना कोई खुशखबरी नहीं थी… परिवार के सारे प्यार, दुलार, और देखभाल की एक मात्र अधिकारिणी मैं कभी न बन सकी… पालने में ही शायद…

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अंतर्नाद

अंतर्नाद आप सबों की शुभकामनाओं से आज मुझे आंतरिक हर्षोल्लास है कि मेरा प्रथम काव्यसंग्रह”अंतर्नाद” जो मेरी १५१ कविताओं का संग्रह है,निकट भविष्य में प्रस्तुत होने वाला है। यह काव्य संग्रह मेरे पिता स्वर्गीय ‘श्री हरीश चंद्र सर्राफ’को समर्पित है।भले ही वो भौतिक रूप से हमारे बीच नहीं हैं, पर दिल में आज भी जीवित…

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