मेरा परिचय

मेरा परिचय कहाँ- कहाँ देखूँ निज छवि अपनी, किस-किस से बाँधू निज परिचय मैं? कहाँ-कहाँ ढूँढू निज आधार अपना, किस -किस के आगे शीश नवाऊँ मैं? दिया अस्तित्व को स्वरूप जिन सबने, कहता है मन सबको, निजपोषक अपना। परिचयदात्री स्नेह-धूप में बनी मेरी हर परछाई, वह घना बरगद जिसकी छाँव तले जीवन सुस्ताई। परिचय देती…

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एक गुफ़्तगु

एक गुफ़्तगु जिंदगी के पल के साथ सोचूँ बैठु आज तुम्हें लेकर रूबरू गुलाबी इस ठण्ड की चटक धुप में थोड़ी देर…! हो हाथ में गर्म अदरक की कड़क चाय और उलझाऊँ तुम्हें कुछ सवालो के चक्रव्यूह में…! बाँटू कुछ तजुर्बे अपने और पूछूँ कुछ तुम्हारे तरीके जिंदगी के फ़लसफ़े पर करना चाहूँ एक गुफ्तगूं…!…

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कोरोना का अंत

कोरोना का अंत इक फ़्लू की है ये दासतां जिस फ़्लू से सब बेहाल हैं, ये फ़्लू है मेड इन चाइना, इसे कहते ’कोविड’ प्यार से। ’कोरोना’ नाम का फ़्लू है ये, सुनने में लगता ज्यों फूल है, जिसे हो वही यह जानता, ई फूल नाहीं, त्रिशूल है। देखे हैं हमने भी फ़्लू कई, कोई…

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चाहत चाय की

चाहत चाय की गुदगुदाती सर्द तन को, ताप देती है बदन को, भोर की स्वर्णिम लाली। उसपे गर्म चाय की प्याली तन को देती सुकून निराली। चाय में घुलता मिठास, जब अपनो का हो साथ। चाय की हर गर्म चुस्की, होठों पे बिखेरतीं मुस्की, हर घूंट पियूषा सा लागे जब चाय की चाहत जगे। फूर्ति…

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चाय दिवस की बधाई

चाय दिवस की बधाई न मौसम न पहर न दुनिया की खबर ! ठहाकों की उधर उठती गिरती लहर इथर ठुनकना मुनिया का बिन बात पर.. वो बहाने से पसरना किसी का बिछावन किसी का जमीन पर! न खत्म होने वाले किस्से चौके में आज पकते पकवान औ सियासत की बहसबाजी पर.. फिल्मों की रूमानी…

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एक प्याली चाय 

एक प्याली चाय  प्रेम की परिभाषा है, एक प्याली चाय, भोर की पहली किरण की संगिनी, सर्द सुबह को मादक महक से गुदगुदाती, आनंद के चरमसुख पर पहुंचाती है…  एक प्याली चाय…..  प्रेयसी के रूप सी, कभी गोरी, कभी काली, तेज़-तीखी सजनी सी, काली मिर्च-अदरक वाली, मनभाती, दिल-लुभाती, सपनों में आती, दिन-भर जी तोड़ मेहनत…

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ये चाय की प्याली

ये चाय की प्याली हो लबालब ये चाय की प्याली, छलके जबतब ये चाय की प्याली । जन्नतों का सुकून हो हासिल, छू ले जो लब ये चाय की प्याली । पाँच बजते ही बस तलब उट्ठे , माँगे साहब ये चाय की प्याली । हसरतों से वो जब मुझे देखे, इसका मतलब ये चाय…

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ओजमयी चाय

ओजमयी चाय जब गहरी स्याह रात्रि , अलसायी सी अँगड़ाई लेती, तो क्षितिज उसे देख मुस्कुराता,, तब गगन के अंजुमन में, सूर्य देव लाल चाय की प्याली लिए उदित हो भोर की किरण को, कलरव करते पक्षी गण को, सरोवर में खिलतें कमल को, फूलों की पंखुड़ियों में ठहरे ओस कण को, कुहासों के चादर…

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कोविड का कहर

कोविड का कहर यह जो सुंदर सी प्रकृति हमारे चारों ओर बिखरी हुई है- पृथ्वी, चाँद, सौर मंडल, सितारे जो स्वयं एक सौर मंडल हैं, हमारा मिल्की वे (milky way) जिसमे न जाने कितने सौर मंडल हैं बल्कि पूरा ब्रह्माण्ड जिसमे अनगिनत मिल्की वे हैं- यह सारे के सारे उस निर्विकार, निर्गुण पूर्ण ब्रह्म का…

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बंद चेहरों का शहर

बंद चेहरों का शहर (कोरोना संस्मरण) जनवरी 2020 : कोरोना का नाम पहले नहीं सुना था लेकिन खबरों में चीन के वुहान की हल्की-फुल्की बातें सामने आ रही थी। चीन दूर है, यहाँ उसकी हवा नहीं आएगी। मन को आश्वस्त किया। राष्ट्रपति भवन में गणतंत्र दिवस की चाय का आनंद लिया। दबे स्वरों में लोगों…

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