एक प्याली चाय 

एक प्याली चाय  प्रेम की परिभाषा है, एक प्याली चाय, भोर की पहली किरण की संगिनी, सर्द सुबह को मादक महक से गुदगुदाती, आनंद के चरमसुख पर पहुंचाती है…  एक प्याली चाय…..  प्रेयसी के रूप सी, कभी गोरी, कभी काली, तेज़-तीखी सजनी सी, काली मिर्च-अदरक वाली, मनभाती, दिल-लुभाती, सपनों में आती, दिन-भर जी तोड़ मेहनत…

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ये चाय की प्याली

ये चाय की प्याली हो लबालब ये चाय की प्याली, छलके जबतब ये चाय की प्याली । जन्नतों का सुकून हो हासिल, छू ले जो लब ये चाय की प्याली । पाँच बजते ही बस तलब उट्ठे , माँगे साहब ये चाय की प्याली । हसरतों से वो जब मुझे देखे, इसका मतलब ये चाय…

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ओजमयी चाय

ओजमयी चाय जब गहरी स्याह रात्रि , अलसायी सी अँगड़ाई लेती, तो क्षितिज उसे देख मुस्कुराता,, तब गगन के अंजुमन में, सूर्य देव लाल चाय की प्याली लिए उदित हो भोर की किरण को, कलरव करते पक्षी गण को, सरोवर में खिलतें कमल को, फूलों की पंखुड़ियों में ठहरे ओस कण को, कुहासों के चादर…

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कोविड का कहर

कोविड का कहर यह जो सुंदर सी प्रकृति हमारे चारों ओर बिखरी हुई है- पृथ्वी, चाँद, सौर मंडल, सितारे जो स्वयं एक सौर मंडल हैं, हमारा मिल्की वे (milky way) जिसमे न जाने कितने सौर मंडल हैं बल्कि पूरा ब्रह्माण्ड जिसमे अनगिनत मिल्की वे हैं- यह सारे के सारे उस निर्विकार, निर्गुण पूर्ण ब्रह्म का…

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बंद चेहरों का शहर

बंद चेहरों का शहर (कोरोना संस्मरण) जनवरी 2020 : कोरोना का नाम पहले नहीं सुना था लेकिन खबरों में चीन के वुहान की हल्की-फुल्की बातें सामने आ रही थी। चीन दूर है, यहाँ उसकी हवा नहीं आएगी। मन को आश्वस्त किया। राष्ट्रपति भवन में गणतंत्र दिवस की चाय का आनंद लिया। दबे स्वरों में लोगों…

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कोरोना के बाद की दुनिया

कोरोना के बाद की दुनिया पिछली सदी के दो विनाशक महायुद्धों ने हमारी दुनिया की राजनीति और अर्थव्यवस्था को बहुत हद तक बदला था। विश्व इतिहास में पहली बार कुछ ऐसा हुआ है जिसने राजनीति और अर्थतन्त्र के साथ लोगों का जीवन और जीने के तरीके भी बदल दिए हैं। महामारियां पहले भी आती रही…

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मानवाधिकारों का संरक्षण – बड़ी चुनौती

मानवाधिकारों का संरक्षण – बड़ी चुनौती मानव, मानवता और मानव अधिकारों का संरक्षण आधुनिक समय में ऐसे विषय हैं ,जिन परबुद्धिजीवियों , विचारकों , समाज सेवियों का एक बड़ा समूह बड़े गर्व के भाव के साथ ही अपनी गहरी चिंता व्यक्त करता हुआ दिखाई देता है । विश्व में विभिन्न अवसरों पर होने वाले शिखर…

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बबूल वन से होकर यात्रा

बबूल वन से होकर यात्रा (विद्यालय के दिनों की आत्मकथा ) मैंने नवीं कक्षा में प्रवेश लिया था। यह वर्ष 1964 रहा होगा। उसी वर्ष 26 जनवरी के दिन मेरे प्रखंड वजीरगंज में निबंध प्रतियोगिता आयोजित की गयी थी। अपने विद्यालय से भाग लेने के लिए मेरा भी चुनाव हुआ था। मेरे गाँव से वजीरगंज…

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मेरा परिचय

मेरा परिचय मेरा नाम आशा मुखारया है।मैंने राजनीति शास्त्र से एम. ए. किया है।मेरे पति डा. पी. एस. मुखारया है।वो हिस्ट्री के प्रोफ़ेसर थे।मेरा बेटा विवेक कम्प्यूटर इंजीनियर है,यहाँ अमेरिका में सिटी बैंक में काम करता है और मेरी बहू निधि भी कम्प्यूटर इंजीनियर है।वो भी जॉब करती है।दो पोते हैं,बड़ा पोता इंजीनियर होकर अटलांटा…

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