Journey of life

Journey of life Delo Isufi, was born in Vlora, Albania, Europe. He has lived in Tirana since 1953. After graduating from high school, from 1962-1966 he completed his studies at the Higher Aviation Academy, where he graduated as a Fighter Pilot. He was appointed a lecturer at the Academy. He then completed his studies, specializing…

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Quarantine

Quarantine Pandemic world is not mine although I drift with it with mask on my face through surroundings possessed by the springtime Isolated I cannot smell the flowers I am not enjoying virtual paradise walk just around the corner of my seclusion Izabela zubko Writer Poland IZABELA ZUBKO – poetess, journalist and translator. She is…

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Unexpected days

Unexpected days We are living in unexpected days, the whole world seized by a primary instinct of self-preservation has locked itself in and is trying to escape death. States are destitute, unprepared and obsessed with winning more and more, they behave without humanity. No cologne to put on our hands or disinfectant, not even simple…

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चाय

चाय चाय;तुझे गोरों ने लाया हमारी धरती, पहाड़ों और तराइयों पर बसाया बने हरे भरे चाय बगान हज़ारों कामगार को मिले रोज़गार। चाय, तेरे रूप अनेक रच बस गई इस धरती पर पूरब -पश्चिम उत्तर -दक्षिण अमीर -ग़रीब बन गई सबकी चाहत चाय तेरे भिन्न भिन्न रंग! कभी गोरी कभी काली सर्दी में अदरक वाली,…

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Random lines

Random lines.. Some memories always linger Some incidents often trigger Few instances buzz loud Very few silently sound Often past carry forward in action As if present has to accept the motion Carrying the concept we think , Concurrence may happen in future So our action becomes it’s reaction We always think we are right…

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मेरा परिचय

मेरा परिचय कहाँ- कहाँ देखूँ निज छवि अपनी, किस-किस से बाँधू निज परिचय मैं? कहाँ-कहाँ ढूँढू निज आधार अपना, किस -किस के आगे शीश नवाऊँ मैं? दिया अस्तित्व को स्वरूप जिन सबने, कहता है मन सबको, निजपोषक अपना। परिचयदात्री स्नेह-धूप में बनी मेरी हर परछाई, वह घना बरगद जिसकी छाँव तले जीवन सुस्ताई। परिचय देती…

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एक गुफ़्तगु

एक गुफ़्तगु जिंदगी के पल के साथ सोचूँ बैठु आज तुम्हें लेकर रूबरू गुलाबी इस ठण्ड की चटक धुप में थोड़ी देर…! हो हाथ में गर्म अदरक की कड़क चाय और उलझाऊँ तुम्हें कुछ सवालो के चक्रव्यूह में…! बाँटू कुछ तजुर्बे अपने और पूछूँ कुछ तुम्हारे तरीके जिंदगी के फ़लसफ़े पर करना चाहूँ एक गुफ्तगूं…!…

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कोरोना का अंत

कोरोना का अंत इक फ़्लू की है ये दासतां जिस फ़्लू से सब बेहाल हैं, ये फ़्लू है मेड इन चाइना, इसे कहते ’कोविड’ प्यार से। ’कोरोना’ नाम का फ़्लू है ये, सुनने में लगता ज्यों फूल है, जिसे हो वही यह जानता, ई फूल नाहीं, त्रिशूल है। देखे हैं हमने भी फ़्लू कई, कोई…

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चाहत चाय की

चाहत चाय की गुदगुदाती सर्द तन को, ताप देती है बदन को, भोर की स्वर्णिम लाली। उसपे गर्म चाय की प्याली तन को देती सुकून निराली। चाय में घुलता मिठास, जब अपनो का हो साथ। चाय की हर गर्म चुस्की, होठों पे बिखेरतीं मुस्की, हर घूंट पियूषा सा लागे जब चाय की चाहत जगे। फूर्ति…

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चाय दिवस की बधाई

चाय दिवस की बधाई न मौसम न पहर न दुनिया की खबर ! ठहाकों की उधर उठती गिरती लहर इथर ठुनकना मुनिया का बिन बात पर.. वो बहाने से पसरना किसी का बिछावन किसी का जमीन पर! न खत्म होने वाले किस्से चौके में आज पकते पकवान औ सियासत की बहसबाजी पर.. फिल्मों की रूमानी…

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