अरुण कुमार जैन की कविताएं 

अरुण कुमार जैन की कविताएं  प्रकृति के साथ पत्थरों और पहाड़ों से कौन सर फोड़ना चाहता है बस पहाड़ों के नाम से हर कोई मुंह मोड़ना चाहता है मगर कभी देखो जाकर उन पहाड़ों की तस्वीर समझो कभी उनकी तासीर मौसम बदलते रंग और नजारे पहाड़ों के साए में बहती नदी उनके ऊपर से बहते…

Read More

रीता रानी की कविताएं

रीता रानी की कविताएं 1.अनुपात – समानुपात किसी भी शोक को सभी ने अपने-अपने पाव में नापा , प्रविष्ट हुए सब अपनी- अपनी खोह में , दुख की कालिमा को देखने के लिए । थोड़ी देर के लिए शोक समानुपातिक हो गया , इस तरह व्यक्तिगत होकर भी वह सार्वजनीन हो गया ।   समाज…

Read More

डाॅ रजनी झा की कविताएं

डाॅ रजनी झा की कविताएं 1.प्रेम (सीता) सीता चकित हो गयी थी विवश व्यथित हो गयी थी सजल नयन लक्षमण को देख खता अपनी पुछ रही थी। आर्यपुत्र ने क्यों सजा दिया अपने से क्यों दूजा किया चौदह वर्ष वन मे संग रखा अब क्यों अपने से दूर किया? निरूत्तर लक्षमण सर झुका खड़े रहे…

Read More

डॉ श्रीमती कमल वर्मा की कविताएं 

डॉ श्रीमती कमल वर्मा की कविताएं  १.राष्ट्रीय चेतना और जागृति  भारत मांँ पर जो कुर्बान,उनके जज्बों को प्रणाम, भारत मांँ के वो सपूत,भारत मांँ की वो है शान| भारत मांँ पर जो कुर्बान,उनके जज्बों को प्रणाम॥ कहाँ गये वो माँ के बेटे,माँ पर करते जां कुर्बान, एक हाथ में गीता रहती, दुजे में पकडे कुरान।…

Read More

विद्या भंडारी की कविताएं

विद्या भंडारी की कविताएं 1.अनबोला लड़की जब तब्दील होती है स्त्री में जाने कहाँ खो जाता है समय । निगल लिए जाते हैं जुबान पर आए शब्द । गुम हो जाती हैं परिंदो सी खिलती आवाजें ।। उड़ते पंख बदल जाते है फड़फड़ाते पंखों में । आंखो में अनचाहे ख्वाब लगते है तैरने । ऐसे…

Read More

नंदा पांडेय की कविताएं 

नंदा पांडेय की कविताएं    1.तुम बन गए बुद्ध !   तुम जानते थे कि शिव ! बनना आसान नहीं है पर, तुम्हें बनना था शिव! पीना था विष !   अनन्त गुहाओं से घिरे चुप्पी के घने दौर में बात-बात पर स्याही उगलती तुम्हारी कलम जब लिखना चाहती थी मजहबी दस्तावेज ! तब तुम…

Read More

सरला मेहता की कविताएं

  सरला मेहता की कविताएं 1.ये ध्वज कभी झुका नहीं स्वतंत्रता की चाह में शताब्दी गुजार दी इक सिपाही पांडे ने चिंगारी जो सुलगाई थी सर पे कफ़न बांधकर बादल पे होकर सवार लक्ष्मी अकेली चल पड़ी जागीरों के मोह में घर के भेदिये छुपे रहे रानी कभी थकी नहीं ये ध्वज कभी झुका नहीं…

Read More

डॉ विनीता कुमारी की कविताएं

  डॉ विनीता कुमारी की कविताएं 1.भारत की नारी कवि नहीं, कवयित्री नहीं, भारत की नारी मैं हृदय की बात सुनाती हूं। वैदिक जीवन – दर्शन का, भारत के वीर शहीदों का, वतन के राष्ट्रगीतों का, मैं वंदनगान करती हूं। भारत की नारी मैं, हृदय की बात सुनाती हूं। गोरे घर छोड़ गए, लोगों को…

Read More

सीमा भाटिया की कविताएं 

सीमा भाटिया की कविताएं    1.उद्घोष    धूल धूसरित यह धरा बार-बार है पुकार रही युवा शक्ति को फ़िर से नव चेतना हेतु ललकार रही   मस्तक पर तिलक मेरा करो और जोश का वरण करो रिपु को मिटाने के लिए अस्त्र शस्त्र अब धारण करो मातृ भूमि की रक्षा हेतु लश्कर अपने बल संवार…

Read More

अरुण धर्मावत की कविताएं 

अरुण धर्मावत की कविताएं    1.शंखनाद   धूमिल धूमिल पथ रह गए लक्ष्य अलक्षित रह गए अंधियारों में जले दीप जो उजियारों को लील गए   शोषित वंचित अपमानों के प्रश्न बिलखते रह गए जो चले योद्धा अग्रपथों पर आज वही पथ भूल गए   व्यथाओं का नित प्रदर्शन शब्द निरर्थक रह गए लिख कर…

Read More