रुदाली-गुलाबो

“रुदाली-गुलाबो” रुदाली अपने समय की चर्चित फिल्म रही है। फिल्म देखने वालों को पता है कि राजस्थान में रुदाली उन महिलाओं को कहा जाता है जो रईस लोगों के मरने पर रोने का स्वांग करती हैं। जो जितना बड़ा स्वांग रच सके वह उतनी बड़ी रुदाली , और जिसके न रहने पर रोने का स्वांग…

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मातृभाषा और बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा में भारतीय भाषाओं का महत्व

मातृभाषा और बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा में भारतीय भाषाओं का महत्व-राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के संदर्भ में किसी व्यक्ति के जीवन में उसकी मातृभाषा के महत्व की सबसे अच्छी और सटीक तुलना करने के लिए माँ के दूध से बेहतर कुछ नहीं। जैसे जन्म के एक या दो वर्ष तक बच्चे के शारीरिक और भावनात्मक…

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लड़ाई अस्तित्व की

लड़ाई अस्तित्व की भारत एक अनूठा देश है जहाँ अभी भी लड़कों के जन्म पर बधाईयाँ दी जाती हैं और लड़कियों के जन्म पर मातम मनाया जाता है। जन्म से ही अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ती हुई लड़कियाँ अपने हिस्से की जमीन और आसमान को तलाशती रहती हैं। भारतीय संविधान जो कि 1950 से लागू…

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गीता जयंती

गीता जयंती गीता जयंती के शुभ अवसर पर आयोजित भगवत् गीता के श्लोकों का चिंतन-मनन यह एक सार्थक पहल है, यह उपक्रम सतत चलता रहे तो सभी को बौद्धिक और आध्यात्मिक लाभ होगा । आज मैं “अवतारवाद” पर अपनी अल्प बुद्धि से कुछ विचार व्यक्त कर करना चाहती हूं । अवतार का अर्थ स्वयं परमात्मा…

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श्रद्धांजलि

योग्यता का सम्मान अमीर गरीब शिक्षित अशिक्षित योग्य अयोग्य रोजगार बेरोजगार कर्मण्य अकर्मण्य शोषक शोषित शासक शासित स्वामी सेवक दो ही रूप विद्यमान हैं इस संसार में सदियों से इसी चक्र में समाज का हुआ विकास भी और कालक्रमानुसार विभक्त हो गया समाज कई टुकड़ों में उन्नत होते गई अज्ञानता से आत्याचार शोषण कुप्रथा संकीर्ण…

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लेखा जोखा 2020

लेखा जोखा 2020 साल 2020 अब बस कुछ ही घंटों का मेहमान है। ना मौसम बदलेगा, ना ही हवाएँ बदलेंगी – बस कैलेंडर की तारीखें बदल जाएगी। सरसों के पीले फूल, गेंदे के फूल, गुलदाबदी, डहलियाँ की सुंदर क्यारियाँ भी ज्यों कि त्यों रहेंगी। लेकिन साल बदल जाएगा। एक और साल चित्रगुप्त के मोटी बहीखाते…

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सुनो दिसम्बर

सुनो दिसम्बर सुनो दिसंबर, यह जो वक्त की गाड़ी तुम खींचकर यहाँ तक लाए हो बहुत भारी थी मजदूरों पर, मजबूरों पर कमजोरों पर, मजबूतों पर कितनों की कमर टूटी कितनों की संगत छूटी बेबस रहा हर एक लम्हा जीवन भी रहा कुछ थमा-थमा परेशान रहे हम सभी कैद रही हर चलती साँस पर इंतजार…

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सुबह, दोपहर और शाम

सुबह, दोपहर और शाम दिसम्बर का अंतिम सप्ताह भारत के उत्तरी भाग में सिहरन, ठिठुरन, धूप की गर्मी, कम्बल और रजाई के मखमली अहसास और आग की तपन का होता है। और इसी महीने में आता है क्रिसमस का रंगीन त्यौहार। बाकी भारतीय पर्वों की तरह इसके दिन और महीने नहीं बदलते – यह हमेशा…

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कोरोना के साथ एकवर्षीय यात्रा

कोरोना के साथ एकवर्षीय यात्रा 2020 का यह साल भी अपने अवसान की ओर है, पर ऐसा साल रहा यह जिसने पूरी दुनिया की ही रफ्तार को थामने की कोशिश की, बहुत हद तक सफल भी रहा यह। एक वायरस-नोवेल कोरोना, जो पूरी दुनिया को डर और संशय की गिरफ्त में बाँध लेता है, सामाजिक…

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