उठो हमारा सलाम ले लो

उठो हमारा सलाम ले लो क्या ख़ूबसूरत इत्तेफ़ाक है कि वैलेंटाइन डे के दिन ही आज हिंदी सिनेमा की वीनस कही जाने वाली मधुबाला जी का भी जन्मदिन है। शोख़, चुलबुली अदाओं के साथ-साथ साथ संजीदा अभिनय में भी माहिर करोड़ों दिलों की धड़कन मधुबाला का दिलीप कुमार साहब के साथ असफल प्रेम और किशोर…

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ढ़ाई आखर प्रेम

ढ़ाई आखर प्रेम प्रेम शाश्वत है।इसे परिभाषित करना कठिन है।प्रेम ही जीवन का आधार है।मानव जीवन का अन्तहीन सफ़र है।मानवीय मूल्यों का निकष है प्रेम।प्रेम ही रसों का उद्गमस्थल है। बिना प्रेम दुनिया में जीना असंभव है। प्रेम स्त्री पुरुष में ही नहीं सीमित है।यह कभी कहीं किसी से हो सकता है। यहाँ पति पत्नी…

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वसंत की नायिका

वसंत की नायिका वह कहता है कि उसकी हसरतें अक्सर लज़्ज़ित हो जाती है जब ह्र्दयरूपी मंच में उसके प्रेम या इश्क़ को एक मर्यादित स्थान देने की बात करती हूँ।सिर्फ़ इतना कह की तुम्हारी सौम्यता कोई भी परिधि नही लाँघ सकती। उसकी पहले से ही सिकुड़ी आँखे थोड़ा और संकुचित हो जाती है मेरी…

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अच्छा लगता है

अच्छा लगता है सुनो न , बहुत दिन से कुछ कहना है तुमसे! पर उस बात का ज़ायका मुँह में घुलता है कुछ इस तरह, वो बात कह ही नहीं पाती । सुनो तो….. तुम अच्छे लगते हो अब ये मत पूछना क्यों : इन फैक्ट मेरी बात पूरी होने दो पहले फिर कुछ भी…

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प्रेम रंग

प्रेम रंग तोड़ देंगें सभी दीवार नफ़रतों वाली होगी खुशियों की बौछार रंगों वाली रंग में अपने रंग लेंगे हम बहाने इसी तेरा चेहरा मेरा गुलाल होगा साथी नफ़रतों को जहाँ में और अब मत बांटो अपनी शाखों को तरू से अब मत काटो जीतना ही है तो जीत लो दिलों को तुम लहू से…

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अरे! जरा संभल कर

अरे! जरा संभल कर अँधेरी गलियों के स्याह- घुप्प अंधकार में, आशंकित- भयभीत ह्रदय ढूँढेगा तुम्हारा हाथ, पकड़ जिसे मैं चुभते पत्थरों पर, चलने में लड़खड़ाने पर, गिरफ्त को और महसूस करूँ कसता हुआ, इन शब्दों के साथ,”अरे! जरा संभल कर।” जब कोरों से झाँकते बूँदों को, तुम संभाल लो अपनी हथेलियों में, फिर बना…

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लौट आया मधुमास

लौट आया मधुमास देविका कहीं शून्य में घूरे जा रही थी लेकिन मस्तिष्क में लगातार उथल-पुथल चल रही थी। आज हर हालत में उसे एक निर्णय पर पहुंचना था। पिछले कई दिनों से वह अनवरत दिल और दिमाग के संघर्ष में बुरी तरह फंसी थी,उलझी थी….पर अब…अब और नहीं।कहीं दूर से आती माँ की आवाज़…

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दो शब्द प्रेम के नाम

दो शब्द प्रेम के नाम नई दुनिया की नई रंगत, कब फरवरी का माह प्रेम को अर्पित हो गया और वह भी एक विशिष्ट खोल में लिपटा हुआ, पता नहीं, पर प्रेम तो शाश्वत है, इतना व्यापक कि एक पल भी जीवन का धड़कना प्रेम के बगैर संभव नहीं। सृष्टि अगर सृजन से जुड़ी है…

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रोज डे

रोज डे लखिया अनमना सा कॉलेज के सामने से गुजर रहा था … दो लडकियो ने हाथ दिया गांधी चौक कहते हुए रिक्शा में बैठ गई | लखिया ने उसी सवारी से सुना आज रोज डे है ,, एक एक लाल गुलाब दोनों के हाथ में थे ,, एक दूसरी से बतिया रही थी ,,…

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दस्तक

दस्तक सुबह से तीन बार कमर्शियल कॉल को मना कर चुकी हूँ कि उसे पुरानी कार नहीं चाहिए। अपनी अलमारी के सभी शॉल वापस तह कर चुकी हूँ। माया ने घड़ी फिर से देखा। लगा समय आगे हीं नहीं बढ़ रहा है। कोविड के कारण आना-जाना लगभग बंद ही है। दोस्त भी ‘थोड़ा कम हो,…

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