अरे! जरा संभल कर

अरे! जरा संभल कर अँधेरी गलियों के स्याह- घुप्प अंधकार में, आशंकित- भयभीत ह्रदय ढूँढेगा तुम्हारा हाथ, पकड़ जिसे मैं चुभते पत्थरों पर, चलने में लड़खड़ाने पर, गिरफ्त को और महसूस करूँ कसता हुआ, इन शब्दों के साथ,”अरे! जरा संभल कर।” जब कोरों से झाँकते बूँदों को, तुम संभाल लो अपनी हथेलियों में, फिर बना…

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लौट आया मधुमास

लौट आया मधुमास देविका कहीं शून्य में घूरे जा रही थी लेकिन मस्तिष्क में लगातार उथल-पुथल चल रही थी। आज हर हालत में उसे एक निर्णय पर पहुंचना था। पिछले कई दिनों से वह अनवरत दिल और दिमाग के संघर्ष में बुरी तरह फंसी थी,उलझी थी….पर अब…अब और नहीं।कहीं दूर से आती माँ की आवाज़…

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दो शब्द प्रेम के नाम

दो शब्द प्रेम के नाम नई दुनिया की नई रंगत, कब फरवरी का माह प्रेम को अर्पित हो गया और वह भी एक विशिष्ट खोल में लिपटा हुआ, पता नहीं, पर प्रेम तो शाश्वत है, इतना व्यापक कि एक पल भी जीवन का धड़कना प्रेम के बगैर संभव नहीं। सृष्टि अगर सृजन से जुड़ी है…

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रोज डे

रोज डे लखिया अनमना सा कॉलेज के सामने से गुजर रहा था … दो लडकियो ने हाथ दिया गांधी चौक कहते हुए रिक्शा में बैठ गई | लखिया ने उसी सवारी से सुना आज रोज डे है ,, एक एक लाल गुलाब दोनों के हाथ में थे ,, एक दूसरी से बतिया रही थी ,,…

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दस्तक

दस्तक सुबह से तीन बार कमर्शियल कॉल को मना कर चुकी हूँ कि उसे पुरानी कार नहीं चाहिए। अपनी अलमारी के सभी शॉल वापस तह कर चुकी हूँ। माया ने घड़ी फिर से देखा। लगा समय आगे हीं नहीं बढ़ रहा है। कोविड के कारण आना-जाना लगभग बंद ही है। दोस्त भी ‘थोड़ा कम हो,…

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मुख़्तसर सी बात है … तुमसे प्यार है

मुख़्तसर सी बात है … तुमसे प्यार है चैत के महीने पहाड़ी क्षेत्रों में घुर-घुर का राग अलापती घुघुती विरह का कोई लोकगीत सा गाती सुनाई पड़ती है। घुघुती हमारे उत्तराखंड की बहुत लोकप्रिय पक्षी है। गौरैया की तरह ही इंसानी आवास के आसपास रहना पसंद करती है। थोड़ा आत्मकेंद्रित भी,कि अगर खाने-पीने के लिए…

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मेरा प्रणय निवेदन

मेरा प्रणय निवेदन सुनो,, आज फिर से तुम्हें प्रपोज करने को जी चाहता है। मेरा बजट थोड़ा कम है, शालिटेयर नहीं है मेरे पास, दुर्गा माँ की पिण्डी से उठाए गंगाजल से भीगे, कुछ सूर्ख लाल अड़हुल के फूल हैं। तुम स्वीकार तो करोगे ना? मेरा प्रणय प्रणय निवेदन,,, तुम पदाधिकारियों का क्या भरोसा? हमारा…

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खोए अर्थ

खोए अर्थ ओ व्याकुल मन! चल ढ़ूंढते है, कबाड़ी के कोने से, वो रद्दी की गठरी, चल उड़ाते हैं गठरी पर जमे , यादों की धूल, उधेड़ते हैं गांठो को, शायद इसी में हो,, दीमक की चखी पुरानी, मटमैली पन्नों वाली डायरी , ओ व्याकुल मन! चल ढ़ूढते हैं, कुछ लिखे , कुछ कोरे कागज,…

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FRAGRANCE OF LOVE

FRAGRANCE OF LOVE Fragrance of love with intoxicated intense, Showering blessings of caring in presence, Wonder of life is beautifully vagrant, Sprayed perfumes of exquisite experience. Genuine love is in unconditional surrender, Mystical magician an unknown wanderer, Unparalleled joy is always a wonder, Passionate petals opening splendour. Morning dawn brings golden bursts, Journey of discovery,meaningful…

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ये गुलाब कब से विदेशी हो गया

ये गुलाब कब से विदेशी हो गया वो किताबों के पन्नों में महकता रहा ताउम्र प्रेमी जोड़े के बीच एक ‘पर्दा’ बना दिलों को जोड़ गया कहीं शेरवानी में और बारात में ‘कली’ बन पिन में लगाया गया कभी गजरे में सजा कभी ‘सेज ‘ पर सजाया गया उम्र भर इसको कभी मन्नतों की चादर…

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