बसंत

बसंत पतझड़ से शोभाहीन हुई, प्रकृति के नव शृंगार को। पिछले बरस की नीरसता हटा, आस के फूल पल्लवित करने को। वन उपवन को पुनर्जीवन देने, है एक और बसंत आने को। अंतर्मन में कहीं सुप्त पड़ी, मानवता झकझोरने को। एहसासों को अंकुरित कर, रिश्तों को नई तरंग देने को। काश, इस बार बसंत आए…

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आरज़ू तुम ज़िंदगी की

आरज़ू तुम ज़िंदगी की राज तुमको गर बता दूँँ क्या कहोगे, हाल दिल का मैं सुना दूँ क्या कहोगे। नाज़ है हमदम तुम्हारे उल्फ़त करम पर नर्म पलकों पर बिठा लूँ क्या कहोगे। इश्क़ में हो इम्तिहां क्या सब्र की भी, हर सितम हँस के उठा लूँ क्या कहोगे। चाँद तारों की तमन्ना है कहाँ…

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परदेशी

परदेशी प्यास के मारे राजन का गला सूखा जा रहा था। दूर-दूर तक देखा किसी मनुष्य की छाया तक नजर नहीं आ रही थी और ना ही आसपास कहीं पानी का अता पता था। वह थककर बैठ गया पर बैठने से भी आखिर कब तक काम चलने वाला था। उठकर फिर चलना शुरू किया पर…

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प्रेम बंधन

प्रेम बंधन तुमने कम समझा है मुझे या शायद समझने की जरूरत ही नहीं समझी चलो जाने दो इस नासमझी पर भी मुझे तो प्यार ही आया सदा अब तुम समझो, न समझो ये तुम्हारी समझ और तुम्हें समय भी कहाँ समझने समझाने का पर देख लेना, एक दिन अपने दुपट्टे के कोने से बांध…

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पीतल

पीतल “सच कहता हूँ मुझे ज़रा भी याद न रहा” शाम के धुंधलके में एकाएक कौंधे निशा के सवालिया अंदाज पर पीयूष ने थोड़ी हैरानी के साथ अफ़सोस जाहिर करते हुए कहा। “पूरे चार साल बाद आए हो इसके बाद भी” निशा ने बनावटी गुस्से से आँखे तरेंरी। “बस यही तो ग़लती हो गयी,मुझे ज़रा…

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एक लड़की थी…

एक लड़की थी… शरारती किस्से वो फ़ोन पर सुनाया करती थी एक लड़की थी मुझे गोद में सुलाया करती थी बिन बाबा के कैसे बीती थीं उसकी माँ की रातें कुछ बेचैनियाँ थीं सिर्फ़ मुझे बताया करती थी डर मेरी उल्फ़त से था, कोई और पसंद था उसे इसी बात पर ज़्यादा खुद को रुलाया…

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पहली मुलाकात

पहली मुलाकात प्रेम आकर्षण है, एक एहसास और समर्पण है l दुनिया में आप हजारों लाखों लोगों से मिलते हैं परंतु किसी एक के आ जाने से आप की दुनिया ही बदल जाती है l यह एहसास मुझे भी हिला गया था l मैं बचपन से ही बहुत बिंदास बेपरवाह स्वभाव की थी, मेरे मस्त…

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प्रेम-रुमानियत से रुहानियत

प्रेम- रुमानियत से रुहानियत प्रेम ने अपनी जादुई किरणों से मेरी आँखें खोलीं और अपनी जोशीली उँगलियों से मेरी रूह को छुआ तब….जब उठ गया था प्रेम या प्रेम जैसे किसी शब्द पर से मेरा विश्वास प्रेम ने दुबारा मेरी ज़िन्दगी के अनसुलझे रहस्यों को खोलने का सिलसिला शुरू किया फिर से उन अनोखे पलों…

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खूब याद करती हूँ तुम्हे, कभी उदास मत होना

खूब याद करती हूँ तुम्हे, कभी उदास मत होना एक हमारे बड़े होते-होते छूट गए कई छोटे-छोटे सुख। मुट्ठी में छिपाये गए छोटे-छोटे चॉकलेट केएफसी और डोमिनो के पिज्जा-बर्गर से ज्यादा लजीज थे। खेल में बार-बार हार कर मेरे आउट होने पर तुम्हारा अचानक छोटे से बड़ हो जाना और मेरी जगह खेलकर मुझे जीता…

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