मेरे यादों में भागलपुर

मेरे यादों में भागलपुर गंगा किनारे बसा भागलपुर बिहार का एक साधारण सा शहर पर मेरे लिए बेहद महत्व पूर्ण …..मेरे पापा माँ की शादी भागलपुर में १९५९  जून में हुई थी जब नाना वहाँ मजिस्ट्रेट थे .पापा की पहली नौकरी टी एन बी कोलेज भागलपुर में ही हुई और उनकी पहली संतान यानि मेरा…

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श्रद्धांजलि

श्रद्धांजलि आदरणीय पापाजी, सादर नमन”राधे-राधे” अत्र कुशलम तत्रास्तु!के उपरांत आगे समाचार यह है कि मैं इस दुनिया में ठीक हूं और उम्मीद करती हूं आप भी तारों की दुनिया में कुशल से होंगे। पापा मन अक्सर अकेले में बैठकर आपसे बातें करता है,वह चाहता है आपसे खुल पर बातें करें लेकिन अब आप… एक टीस,एक…

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निर्मला लौटेगी ज़रूर !

निर्मला लौटेगी ज़रूर ! हमारे शहर के इस हिस्से में यह तीन तल्ला,आलीशान पीली कोठी, वास्तुकला की अनुपम मिसाल है. जिसका,काले रंग का, ऊँचा सा भारी भरकम, कटाव-दार मुख्य दार है. लोहे की सर्पाकार सीढ़ियाँ, आबनूस की लकड़ी व रंगीन-सफेद काँच से बनी खिड़कियाँ-दरवाजे, ‘चायनीस-ग्रास’ से सजा कालीन-नुमा उद्यान,विलायती गुलाबों की क्यारियाँ, मुख्य द्वार पर…

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मजदूर का बेटा

मजदूर का बेटा हम साथ साथ पढ़ते तब , 8 वीं की बात रही होगी, मेरी टक्कर हमेशा से ही उससे हो जाती थी, और मैं हमेशा उससे हार जाता था। खेल में, कक्षा के रिजल्ट के स्थान में, हमेशा वो मुझसे बाजी मार लेता था। मुझे इस बात से उससे चिढ़ हो गई थी,…

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दशहरा : भक्ति की विरासत

दशहरा : भक्ति की विरासत शिवरात्रि, होली, दीपावली, छठ – फिर बीच में तीज, सत्तुआनी, जितिया, भैया दूज – ये वर्ष के त्यौहार हैं बिहार के। कहने को तो बिहार एक भौगोलिक इकाई है लेकिन उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम में बहुत फर्क है। कहते हैं ना, चार कोस पर बदले वाणी, ढाई कोस पर पानी…

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पर्यावरण दिवस

पर्यावरण दिवस सूखी नदियाँ,सूखी धरती सिसक उठी करती चित्कार, मैली कितनी अब होऊँगी अब सब मिलो, करो विचार। बहा दिया तुम नाली कीचड़ नदी पवित्र इस गंगा में अपने जन से रक्तपात कर रक्त बहाया दंगा में। जंगल काटे,काटे पौधे काट दिए तुम पर्वत को, अपने सुख में मानव तूँ ने बढ़ा दिया है नफरत…

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राम के नाम पर दंगे

राम के नाम पर दंगे राम कौन हैं ! ‘रमते कणे कणे इति राम:’… जो प्राणी मात्र के हृदय में रमण करते हैं वह ‘राम’ है तथा जिनमें आमजन रमण करते हैं, ध्यान लगातें वह हैं ‘राम’ । शेक्सपियर ने कहा था कि नाम में क्या रखा है, हमारे यहां भी एक कहावत है ‘आंख…

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बोनस

बोनस आज षष्ठी का दिन है। कीर्ति सुबह उठते ही खुशी से उछलने लगी है। कारण आज बाबा को बोनस मिलने वाला है। बाबा बोनस लेकर आएँगे और फिर दुर्गा पूजा के कपड़े आएँगे। उसके बाबा दार्जिलिंग के एक चाय बागान में नैकरी करते हैं। वह फुदकती हुई अपनी माँ कुमारी के पास पहुँची और…

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आशा

आशा जीवन में अंधकार हो चहूँ और अविकार हो तुम आशा का दामन थामे रखना बिजली कड़कड़ाये या मेघ गरजें सूरज की हो तपिश या आस्माँ बरसे तुम आशा का दामन थामे रखना हर तरफ़ चीत्कार का है मंज़र इंसान क़ैद में कैसा है ये क़हर तुम आशा का दामन थामे रखना ऑक्सीजन का कालाबाज़ार…

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