पिताजी

पिताजी घर का सारा प्यार पिताजी बच्चों का संसार पिताजी।। जीवन है इक उलझी नैय्या नैय्या की पतवार पिताजी।। मेरी ख़्वाहिश के कुछ-कुछ पर देते सब कुछ वार पिताजी।। जब भी आए ग़म के तूफ़ां बन जाते दीवार पिताजी।। माँ है देवी माना जग ने ईश्वर का अवतार पिताजी।। ‘गुंजन’ डरना क्या मुश्क़िल से जब…

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मन के हारे हार है,मन के जीते जीत

मन के हारे हार है,मन के जीते जीत आज सुबह से नेहा कुछ ज्यादा ही परेशान थी,उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह कैसे अपने को संभाले,चारों तरफ कोरोना महामारी और उसके अफवाहों से वह बहुत परेशान और हताश हो गई थी। वह इसी उधेड़बुन में थी तभी उसकी बड़ी बहन का फोन…

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“पसरते शहर ……….….. सिकुड़ते लोग” !!

  “पसरते शहर ……….….. सिकुड़ते लोग” !! सुविधाएं जब सनक और रुतबे का रुप ले लेती है, तो दबे पांव जिंदगी में घुन लगना शुरू हो जाता है। कभी शहर का मतलब सुख-सुविधाओं और बेहतर जीवन रहा होगा, पर आज शहरों की हालत देखते हुए ऐसा बिल्कुल नहीं नजर आता। अब हर कोई शहरों की…

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हिन्दी पर अन्य भाषा का प्रभाव

हिन्दी पर अन्य भाषा का प्रभाव अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों की संख्या बढ़ती जा रही है, जहां दिन भर में सिर्फ एक हिंदी की कक्षा होती है स्वाभाविक है कि बच्चे अंग्रेजी ही ज्यादा सुनते हैं और बोलते हैं . . इन बच्चों की जुबान पर हिगलिंश हावी हो गई है। एक भी वाक्य बिल्ला…

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स्वच्छता तन-मन और उपवन की

स्वच्छता तन-मन और उपवन की उठो चलो आगे बढ़ो, कि विश्व तुझको देखता । वक्त की है पुकार ये, फिर कौन तुझको रोकता? स्वच्छ बना इस धरा को, करके योगदान तुम । बन जा प्रहरी इस उपवन का, खड़े जिस दिशा में तुम। स्वच्छता से स्वस्थता आएगी, हमारे भारत देश में। बढ़ेगा हर कदम फिर,…

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हस्त-रेखा को चुनौती 

हस्त-रेखा को चुनौती  आज से साठ-सत्तर साल पहले एक मध्यम वर्ग परिवार में एक बेटी होने के बाद, मात्र ग्यारह महीने के अंतराल में दूसरी बेटी के रूप में जन्म लेना कोई खुशखबरी नहीं थी… परिवार के सारे प्यार, दुलार, और देखभाल की एक मात्र अधिकारिणी मैं कभी न बन सकी… पालने में ही शायद…

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संपादकीय-दिव्या माथुर

संपादकीय  “दिव्या” जिजीविषा – यदि इस शब्द की व्याख्या करने के लिए मुझसे कहा जाए तो मैं एक शब्द में कर सकती हूँ “दिव्या”। मैं जब पहली बार उनसे मिली थी, एक दुबली-पतली नाज़ुक सी दिखने वाली काया पर जो चेहरा था उस पर साफ़ साफ़ शब्दों में यही लिखा हुआ था ‘जिजीविषा’ और आज…

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डॉ. सच्चिदानंद जोशी से अलका सिन्हा का संवाद

डॉ. सच्चिदानंद जोशी से अलका सिन्हा का संवाद            वातायन-वैश्विक की 91वीं वार्ता संगोष्ठी में प्रसिद्ध रंगकर्मी, संस्कृति साधक, व्यंग्यकार, निबंधकार एवं शिक्षाविद् श्री सच्चिदानंद जोशी जी के साथ  अक्षरम साहित्यिक संस्था की महासचिव प्रसिद्ध कथाकार एवं कवयित्री अलका सिन्हा जी का आत्मीय संवाद सकारात्मक रचनात्मकता के भाव से मन को समृद्ध करने वाला रहा।…

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मादक संगीत में डूबा वासंती संदेश

मादक संगीत में डूबा वासंती संदेश मैं अपनी कर्मस्थली की ओर गतियमान देखती जाती हूं, प्रकृति के खुले आंगन में, अनेकों की संख्या में खड़े , पत्र विहिन शाखाओं को धारण किए हुए महुआ के वृक्षों को। मानो बांहें फैलाए खड़े हों, अपनी प्रेयसी के इंतजार में। पत्तियाँ सूख कर ताम्रपत्र बन गई हैं और…

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Journey of life

Journey of life Delo Isufi, was born in Vlora, Albania, Europe. He has lived in Tirana since 1953. After graduating from high school, from 1962-1966 he completed his studies at the Higher Aviation Academy, where he graduated as a Fighter Pilot. He was appointed a lecturer at the Academy. He then completed his studies, specializing…

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