क्यूँ बीत गया वो पल ……
क्यूँ बीत गया वो पल …… जिसके साथ जीने की लग गई थी लत, प्यारा ऐसे जैसे हो पिया का ख़त. जिसके लिए मोड़ दी हर सोच, लगा दी जान चाहे लगे लाख खरोंच . दे कर होठों को हँसी, बीत गया वो पल …… चाय के ख़ाली कप सी रह गई ज़िंदगी, समय इतना…
कैसे कहूँ!
कैसे कहूँ! कैसे कहूँ कि मैं तुमसे कितना प्यार करता हूँ? कैसे कहूं! हर वक़्त पास आने का – तुम्हारा, मैं इंतेजार करता हूँ। बिना कुछ कहे ही तुम कितना कुछ कह जाती हो? फिर भी तुम्हारे मुस्कुराने का, मैं इंतेजार करता हूँ। कैसे कहूँ कि मैं तुमसे कितना प्यार करता हूँ? कैसे कहूं! तुम्हारे…
प्रेम का पथ
प्रेम का पथ प्रकृति ने सिखाया प्रेम समर्पित भाव से बंधन मानव से मानव करे प्रेम हृदय देखो बने चंदन। नेह से बने रिश्तों का महकता है सदा प्रकाश प्रेम जोत जगे हृदय में हो जाता मन वृंदावन। ममता के पलने में झूले प्रेम आनंदित हो संतान मात पिता , गुरू सखा प्रेम ही है…
हम्पी – जहाँ हर पाषाण कुछ कहता है
हम्पी – जहाँ हर पाषाण कुछ कहता है आप सब ने इस वर्ष के गणतंत्र दिवस पर विभिन्न राज्यों की झाकियां टी वी पर अवश्य ही देखी होंगी | कर्नाटक राज्य की झांकी, विजयनगर – हम्पी पर बड़ी ही सुंदरता से बनाई गयी थी | उसे देख कर मेरे लिए, व्यक्तिगत रूप से, तो जैसे…
The Wonder of Love
The Wonder of Love My pen a sparkling fountain Beneath a snow capped mountain As the fragile little heart skips a beat In the sunshine valley of my dream. The gentle kiss of springtime breeze Stirs a frozen heart to melt with ease Unfolds the petals of tender velvet With love’s odour sweetly scented. The…
और भेड़िया सच में आ गया
और भेड़िया सच में आ गया “क्याआ आ–! सच में!, ऐसा कैसे हो सकता है? दो दिन पहले तो मैं शुभ्रा से मिली थी, परेशान थी वह लेकिन इतनी भी नहीं कि इतना बड़ा कदम उठा ले और वैसे भी वह हमेशा छोटी छोटी बातों को लेकर शिकायत कारती ही रहती थी।” “लेकिन यह सच…
वो प्यारी पाती
वो प्यारी पाती वो कलम का उठाना उसके नीचे एक कॉपी का रखना आधा खत लिखकर सिरहाने धर लेना, फिर कुछ और मन की बातें लिखना, लिफाफे पर पता लिखकर वो गोंद पर ओंठ को घुमाना या फिर गीली उंगली से चिपका देना। वो प्यारा सा लाल डिब्बा जो बाहे पसारे इंतज़ार करता था। जिसका…
अब नहीं, तो कब ?
अब नहीं, तो कब ? बस के बगल वाली सीट बहुत देर से खाली थी। बस खुलने में अभी सात-आठ मिनट और रहे होंगे। खिड़की से बाहर की गहमा गहमी देख रही थी मृदुला। ऐसे हमारे यहाँ जैसा शोर वहाँ नहीं है। हमारे यहां तो चीखते खोमचे वाले, व्यस्त कुली, शोर करते बच्चे, झगड़ते परिवार…
प्रेम -बंधन
प्रेम -बंधन दो प्राणों का है अटूट ये बंधन । दो श्वांसों का श्वांसों से अनुबंध । दो प्राणों की मधुर आलाप है दो प्राणों की ये वेदना है। प्रेम ..मौन की बोलती भाषा प्रेम …हृदय की है परिभाषा । दो नयनों का स्मित -हास जीवन का है जो दीर्घ श्वास। प्रेम … राधा का…