महिला दिवस : पिंजड़े से उड़ान

महिला दिवस : पिंजड़े से उड़ान महिला और पुरुष – यही दो शाश्वत जातियाँ हैं। और एक अनवरत संघर्ष चलता रहता है दोनों के बीच, आर या पार की लड़ाई भी। शायद, जब मानव जीवन कदराओं में जी रहा था, तभी बंटवारा हो गया था – बाहर के काम, जंगली जानवरों के शिकार, आग जलाना…

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I Am A Woman

I Am A Woman “I Am A Woman” Here I stand whole and complete in majestic beauty with Grace and Mercy about my loins and feet! The Womb of all humanity has been entrusted to me through the design and the intentions of God, The Creator Almighty! I am gentle as a breeze blowing through…

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बेबाकी और उन्मुक्तता का सशक्त स्वर : ममता कालिया

बेबाकी और उन्मुक्तता का सशक्त स्वर : ममता कालिया कुछ कहानियां श्रृंखलाबद्ध रूप में एक जगह एकत्रित मिली और जब पढ़ना शुरू किया तो पढ़ती ही चली गई । थोड़ा सा प्रगतिशील, अपत्नी, निर्मोही ,परदेशी, पीठ, बड़े दिन की पूर्व सांझ, बीमारी , कामयाब,बोलने वाली औरत ,मेला, आपकी छोटी लड़की इत्यादि-गजब का आकर्षण था कहानियों…

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दिव्या माथुर-सुपर अचीवर

दिव्या माथुर -सुपर अचीवर वातायन- यूके की संस्थापक, रॉयल सोसाइटी ऑफ़ आर्ट्स की फ़ेलो, लंदन में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन-2000 की सांस्कृतिक अध्यक्ष, यूके हिन्दी समिति की उपाध्यक्ष और कथा-यूके की अध्यक्ष­ रह चुकी, दिव्या माथुर का नाम ‘इक्कीसवीं सदी की प्रेणात्मक महिलाएं’, ‘ऐशियंस हूज़ हू’ और विकिपीडिया की सूचियों में भी सम्मलित है।  25 वर्षों तक नेहरु केंद्र-लन्दन में वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी के रूप…

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गृहस्वामिनी इंटरनेशनल सुपर अचीवर्स

गृहस्वामिनी इंटरनेशनल सुपर अचीवर्स नाम – शार्दुला नोगजा उम्र – ५२ साल शिक्षा – मास्टर्स ( कम्पयूटेशनल अभियांत्रिकी), जर्मनी; स्नातक ( इलेक्ट्रिकल अभियांत्रिकी-ऑनर्स), कोटा, राजस्थान उपलब्धियाँ: प्रतिष्ठित हिन्दी कवयित्री; संपादक कविताई सिंगापुर की संस्थापक कविता की पाठशाला की सह-संचालक विश्वरंग महोत्सव २०२० की सिंगापुर फ़ेस्टिवल डारेक्टर अंतराष्ट्रीय साहित्य धारा सम्मान-२०१९ तेल और उर्जा क्षेत्र में…

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सा, रे गा, मा, प…….

सा, रे गा, मा, प……. “गृहस्वामिनी” की संपादिका का आग्रह था कि “महिला दिवस” और उनकी पत्रिका के “महिला विशेषांक” के लिए हम उनको नामित करें जो कि हमें प्रेरित करती हैं, जो कि हरेक परिस्थितियों से जुझारू होकर जीना जानती है। आसपास देखा तो लगा कि हर महिला ही इस सम्मान की अधिकारी है।…

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लैंगिक समानता और सशक्तिकरण

लैंगिक समानता और सशक्तिकरण सभी महिलाओं को आवश्यक रूप से नारीवादी नहीं होना चाहिए और सभी नारीवादियों को जरूरी नहीं कि महिलाएं हों। पितृसत्तात्मक सामाजिक योजना में, यह वास्तव में बहस का मुद्दा है कि क्या नारीवाद एक महिला का अंतिम गढ़ है या अस्तित्व के लिए उसकी प्राथमिक स्थिति है। हालांकि, इस बात से…

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