बेरंग जिंदगी में रंग भर दें

बेरंग जिंदगी में रंग भर दें बेरंग जिंदगी में रंग भर दें, चलो होली के रंग में रंग दें, नफरत की दीवार तोड़ कर, आओ प्रेम को संग कर दें। बुराई की होलिका जलाएं, अपने कलुषित विचारों को मिटाएं, नही तकलीफ हो किसी मन में चलो कुछ इस तरह त्योहार मनाएं। प्रेम के रंग में…

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तेरे संग का रंग

तेरे संग का रंग होली में हमारे घर भांग पिसी जाती और उसे छुपा कर ठंडई में, पुआ में डाल दिया जाता ताकि देवरों नंदो को पता न चल पाए भाभी के मज़ाक का, और पति को भी आनंद के रंग में डुबो दिया जाए। उन दिनों परिवार बड़ा था और होली में मायका ससुराल…

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वृंदावन की होली

वृंदावन की होली आज जो चली वृंदावन की टोली गीतों की मीठी सुरम्य बोली लगी थाप ढोल पर धमक-धम थिरक-थिरक रंगों की झोली हंसते-हंसते नज़रें झुकीं भोली। गगनांगन में मची धूम वृंदावन की मिट्टी राग रंगी लाल, पीली, नीली, काली धरा भूरी, यमुना काली गोवर्धन की काया हरी-भरी कदम्ब पेड़ हुआ भर-भर पीला उबटन और…

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The Myriad Colors of Holi

The Myriad Colors of Holi- From Brij bhoomi to Imphal in Manipur The stage is aesthetically decorated and well illuminated. An adolescent Krishna enters stealthily with his friends. All are dressed as cowherds. Krishna has a peacock feather in his hair while ‘gopas’ have shaven heads with a distinctive tuft of hair. From their conversation…

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विश्व रंगमंच दिवस

विश्व रंगमंच दिवस के. मंजरी श्रीवास्तव थिएटर और कविता का जाना-माना नाम है. मंजरी इसलिए विशेष हैं कि वे थिएटर नहीं करतीं बल्कि थिएटर करनेवालों की बखिया उधेड़ती हैं अर्थात नाट्य समीक्षक हैं, नाट्य आलोचक हैं और एक मुकम्मल शब्द में कहें तो नाट्यविद हैं, कलामर्मज्ञ हैं. मंजरी पिछले 17 वर्षों से दिल्ली में रह…

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अबला से आत्मनिर्भरता की राह

अबला से आत्मनिर्भरता की राह ये कहानी है शशिकला जी की जो हर लड़की की तरह एक खुशहाल और जिम्मेदार लड़की थी। छोटे छोटे सपनों ने आँखों में जगह बनानी शुरू ही की थी कि १७ वर्ष के उम्र में विवाह के बंधन में बांध दिया गया। अपनी सारी जिम्मेदारिओं को भली भांति निभाते हुए…

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बस इतना सा

बस इतना सा नाम – सीमा भाटिया जन्मतिथि – 5 फरवरी, 1969 शिक्षा – स्नातकोत्तर (हिन्दी) लेखन की विधाएँ – गद्य और पद्य दोनों में प्रकाशित पुस्तकें – सांझा संग्रह_ संदल सुगंध, लम्हों से लफ्ज़ों तक, सहोदरी सोपान, अल्फाज़ ए एहसास (काव्य संग्रह) सफर संवेदनाओं का,आसपास से गुजरते हुए, लघुतम-महत्तम, सहोदरी लघुकथा २, लघुकथा कलश,…

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मेरी मुट्ठी में आसमां

मेरी मुट्ठी में आसमां आज जब मैं महिला सशक्तिकरण की बातें सुनती हूं तो सोचने लग जाती हूँ कि मैं कितनी सशक्त हूँ , यह समाज की महिलाएं कितनी सशक्त हैं l हम एक आधुनिक दौर में जी रहे हैं, जहां शिक्षा, सुख सुविधाएं, समाज का प्रोत्साहन सभी कुछ हम स्त्रियों को मिल रहा है…

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मेरी सुपर वूमन

मेरी सुपर वूमन महिला दिवस पर मुझसे जब भी पूछा जाता है कि मैं किसी ऐसी महिला का नाम लूं जिसे देखकर लगता हो कि महिला दिवस ऐसी ही महिलाओं के व्यक्तित्व को सेलिब्रेट करने के लिए बनाया गया है तो मेरे दिलोदिमाग़, मेरे ज़ेहन में सिर्फ़ एक ही नाम आता है और वह नाम…

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